जब 1967 में गोलियां खत्म होने पर भारतीय सेना ने खुखरी से मौत के घाट उतारे चीनी सैनिक

धोखे से हमला करना चीन (China) की पुरानी आदत है. 16 जून को भी एक बार फिर उसने धोखे से भारतीय सेना (Indian Army) के जवानों पर हमला किया. इससे पहले साल 1967 में चोला और नाथूला पास (Nathula Pass) पर हमला किया था, लेकिन 17वीं माउंटेन डिवीजन के मेजर जनरल सागत सिंह चीन की आदत से अच्छी तरह वाकिफ थे, यही वजह है कि 15 दिन तक सागत सिंह अपने जवानों (Soldiers) के साथ बर्फ में डटे रहे थे. और एक अक्टूबर को वही हुआ जिसका आंदेशा सागत सिंह को था. चीन ने हमला कर दिया. 10 दिन तक लड़ाई चली. गोलियां खत्म हो गईं तो गोरखा (Gorkha) और राजपूताना राइफल्स ने ग्रेनेडियर्स के जवानों संग मिलकर चीनी सैनिकों को खुकरी (Khukri) (नेपाली चाकू) से मौत के घाट उतार दिया था.

 चीन ने इसलिए भारतीय सेना पर हमला किया था

कर्नल रिटायर्ड जीएम खान बताते हैं, 'धोखे से हमला करने की यह हिमाकत चीन ने इसलिए की क्योंकि सर्दी शुरू होते ही भारतीय फौज करीब 13 हजार फीट ऊंचे चोला पास पर बनी अपनी चौकियों को खाली कर देती थी और गर्मियों में जाकर दोबारा तैनात हो जाती थीं. चौकियों पर कब्जा करने की गरज़ से चीन ने सर्दियों में ही वहां हमला बोल दिया. लेकिन चीन की मंशा को भांपते हुए भारतीय सेना ने चौकियों को खाली नहीं किया था. इसलिए जब चीन ने हमला किया तो आमने-सामने की लड़ाई शुरू हो गई'.

प्रकाशित तारीख : 2020-06-17 09:00:37

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