नेपाल की निचली सभा से विवादित नक्शा पास करवाने के बावजूद ओली सरकार अधर में लटकी हुई है। ओली सरकार के 11 सांसदों ने विवादित नक्शे वाली बहस और मतदान में हिस्सा नहीं लिया था। इसके बाद अब भारत ने अपना रुख कड़ा कर दिया है। भारत ने स्पष्ट संकेत दिये हैं कि हालात को नेपाल ने अपनी हरकतों से बिगाड़ा है। अब उसी जिम्मेदारी है कि वो हालात को सामान्य बनाये। एक तरफ भारत ने ओली सरकार को लेकर रुख कड़ा कर दिया है तो वहीं नेपाली जनता को लेकर भारत का रुख उदार बना हुआ है। भारत ने काठमांडु के पशुपति मंदिर के सैनिटेशन प्लान में नेपाल को सक्रिए सहयोग देने के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
भारत-नेपाल मैत्री प्रोजेक्ट के तहत पशुपतिनाथ मंदिर में सैनिटेशन कॉम्प्लेक्स बनाने के लिए भारत ने 37.23 मिलियन रुपये का योगदान देने पर सहमति जतायी है। इस प्रोजेक्ट की देखरेख काठमाण्डु मेट्रोपोलिटिन सिटी करेगी। दूसरी ओर भारत ने साफ कर दिया है कि नेपाल की हरकतों ने मुश्किल स्थिति पैदा कर दी है और अब बातचीत के लिए सकारात्मक और अनुकूल माहौल बनाने की जिम्मेदारी नेपाल सरकार की है। नेपाल ने भारत के विरोध के बावजूद अपने विवादित नक्शे से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक को संसद में पेश किया। इस नक्शे में भारत के तीन इलाको लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी को शामिल किया गया है।
नेपाली संसद के निचले सदन में इसे मंजूरी मिल चुकी है। लेकिन खुद नेपाल की सरकार को नये नक्शे पर विश्वास नहीं है। भारत ने कहा कि मानचित्र को जारी करने के बाद कमिटी बनाने से साफ हो गया कि यह महज राजनीतिक लाभ लेने के लिए किया गया न कि इसके पीछे कोई जमीनी आधार था। भारत ने कहा कि चाहे 1997 हो या 2014 या फिर 2019, इन सभी सालों में भारत ने बहुत अच्छे माहौल में सीमा विवाद को हल करने की पहल की लेकिन नेपाल ने ही बहुत उत्साह नहीं दिखाया।