केंद्र सरकार की थाली पर जो वित्तीय घालमेल मचा हुआ है उसके कई कारण ऐसे हैं जो सबको मालूम हैं. लेकिन हम यहां उस कारण से शुरुआत करेंगे जिन पर कम ही विचार किया जाता है. वह कारण है— राजस्व का वह बड़ा हिस्सा, जो राज्यों को चला जाता है. 2013-14 में केंद्र को करों से हुई कुल आय का 28 प्रतिशत हिस्सा राज्यों को मिला था. 2017-18 में आकर यह हिस्सा 35 प्रतिशत हो गया. इसके बाद से केंद्र सरकार खोया हुआ कुछ हिस्सा वापस करने की जुगत में जुटी थी, जिसके फलस्वरूप राज्यों का हिस्सा घटकर 31 प्रतिशत पर आया.
राज्यों के अपने राजस्व में से केंद्र द्वारा किए गए ट्रांसफर का प्रतिशत 2013-14 में 45 से बढ़कर 62 (2019-20 के बजट अनुमानों के मुताबिक) हो गया है. केंद्र के शुद्ध कर राजस्व में 102 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि इसकी ओर से राज्यों को भेजे गए टैक्स ट्रांसफर में 168 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. पिछले छह वर्षों में राज्यों के कुल कर राजस्व (टैक्स और गैर-टैक्स) में 132 प्रतिशत की, तो केंद्र के कुल कर राजस्व में 93 प्रतिशत की ही वृद्धि हुई है.