नेपाल के संबिधान अनुसार धारा ७८ के उपधारा ( ४ ) में उल्लेख है कि प्रतिनिधिसभा के निर्वाचन में पराजित व्यक्ती उपधारा ( १ ) कानुनन मन्त्री पद में नियुक्त होने अयोग्य हैं ।
नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी (नेकपा) प्रवक्ता एवं सचिवालय सदस्य नारायणकाजी श्रेष्ठ संबिधानिक मन्त्री बनने अयोग्य घोषित हुए हैं। ‘सरकार को मजबुत बनाने के लिए’ पार्टी ने हमे राष्ट्रियसभा मे भेजा हे कंहने वाला श्रेष्ठ, वर्तमान प्रतिनिधिसभा का पदावधि कायम रहने तक मंत्री नहीं बन सक ते हे।
नेपाल के नये कानुन अन्तर्गत प्रतिनिधिसभा के निर्वाचन में पराजित उम्मेदवार उक्त राष्ट्रियसभा के पदाधिकारी पद में विराजमान होने तक उनकी कालावधी समाप्त होने तक सरकार में मन्त्री होने से वन्चित रखा है। विगत दो वर्ष पहिले नारायणकाजी श्रेष्ठ पुर्वप्रधानमन्त्री डा. बाबुराम भट्टराई के गृह क्षेत्र गोरखा क्षेत्र नं . २ से भारी मतों से पराजित हुए थे।
नेपाल के संबिधान अनुसार धारा ७८ के उपधारा ( ४ ) में उल्लेख है कि प्रतिनिधिसभा के निर्वाचन में पराजित व्यक्ती उपधारा ( १ ) कानुनन मन्त्री पद में नियुक्त होने अयोग्य हैं। इसी प्रावधान के अन्तर्गत उक्त व्यक्ती राष्ट्रियसभा सदस्य होते हुए भी मन्त्री नहीं बन सकता। नये कानुन अनुसार संघीय सरकार में मन्त्री पद के लिए संघीय संसद में सदस्य होना अनिवार्य है।
संसद सदस्य मनोनीत न हुए व्यक्ती भी ६ महिने तक संसदमा मन्त्रीपद पा सके ऐसा प्रावधान पारित किया हुआ है । प्रतिनिधिसभा में पराजित व्यक्ती किसि भी प्रकार से मन्त्री नहिं हो सकता ऐसा प्रतिबन्धात्मक व्यवस्था निर्धारित किया हुआ है। नयाँ संबिधान निर्माण करते वक्त संबिधानसभा में नेपाल के राजनिती प्रणाली को "सुधार हुआ संसदिय व्यवस्था" ऐसा नामाकरण हुआ है। संसदीय व्यवस्था सुधार हेतु तत्कालीन संबिधानसभा अध्यक्ष सुवासचन्द्र नेम्वाङ्ग ने कडा कानुन पारित किए थे। चुनाव हारे हुए व्यक्ती अब चोर रास्ते से भी संबिधानसभा में घुस नहीं सकता अथार्थ संबिधानसभा में मन्त्री नहीं बन सकता ऐसा सन्चारकर्मीयों को भी अवगत कराया गया था।
नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी के सचिवालय सदस्य के बयान अनुसार श्रेष्ठ फाल्गुन महिने में मन्त्रीमंडल विस्तार अथवा पुनर्गठन में अर्थमन्त्री अथवा गृहमन्त्री पद रिक्त होने पर अपना दावा वर्तमान मन्त्री रामबहादुर थापा उर्फ "बादल" के विरुद्ध पेश कर सकते हैं। श्रेष्ठ ने पार्टी से बार बार अपने विषय में सोचने के लिए विवश किया है। उनका सकारात्मक सोच ही उन्हें संबिधानसभा तक पहुँचाता है।
वे मन्त्री बनकर मन्त्रीपद कि शोभा बढाना चाहते हैं ऐसा उन्होंने मिडियाकर्मी से कोड न करने कि शर्त पर कहा। नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी के अधिकृत एमाले नेतागण मन्त्री पद से निषेध व्यक्ति राष्ट्रियसभा सदस्य बनने के लिए नैतिकरुप से असक्षम है ऐसा कहते हैं। नेकपा सचिवालय सदस्य या नेता कहते हैं नैतिकता का पालन करना या न करना ये हमारा व्यक्तिगत विषय है। हम नैतिकवान निष्ठावान हैं ऐसा प्रचार करना कहाँ तक उचित होगा। सर्वोच्च अदालत ने चुनाव में पराजित उम्मेदवार को किसी भी पद अथवा वही पद में किसी भी मार्ग द्वारा आने के लिए रोक लगाई है ।
पहिले संबिधानसभा में २६ लोगों को राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत करने के फैसले पर सर्वोच्च अदालत में प्रश्न उठ चुका है। इसी फैसले के आधार पर पराजित व्यक्ती मन्त्रीपद में मनोनीत न करने का निर्णय पारित हुआ है। नारायणकाजी को नेपाल ऐन बमोजिम अनुसार मन्त्री बनने अयोग्य घोषित होने पर दो वर्ष तक राष्ट्रियसभा के अध्यक्ष पद के लिए इन्तजार करना होगा। क्योंकी नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी संबिधान संशोधन करने के मुड में कहीं पर भी नजर नहीं आती।