इंदौर में 1985 में अजीत जोगी कलेक्टर थे। अपनी तेजतर्रार कार्यशैली और बेबाक बयानबाजी के कारण उस समय वह चर्चित रहते थे। एक रोज कलेक्टर बंगले में देर रात फोन बजता है। एक कर्मचारी फोन उठाकर बताया है कि कलेक्टर साहब सो रहे हैं। दूसरी ओर से एक आदेश देती आवाज आती है... "कलेक्टर साहब को उठाकर बात कराइए"। साहब अब फोन लेते हैं। हेलो कहते ही दूसरी ओर से कहा जाता है, "तुम्हारे पास ढाई घंटे हैं... सोच लो। राजनीति में आना है या कलेक्टर ही रहना है। दिग्विजय सिंह लेने आएंगे, उनको फैसला बता देना"। यह कॉल था तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के पीए वी. जॉर्ज का। पूर्व मुख्यमंत्री जोगी का शुक्रवार दोपहर 3.30 बजे निधन हो गया है।
उत्तराखंड के मसूरी स्थित लालबहादुर शास्त्री एकेडमी में आईएएस की ट्रेनिंग के दौरान 1969 में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी और अन्य साथी।
उस कॉल के ढाई घंटे बाद जब दिग्विजय सिंह कलेक्टर आवास पहुंचे तो जोगी नौकरशाह से जनप्रतिनिधि बन चुके थे। कुछ ही दिन बाद उनको ऑल इंडिया कमेटी फॉर वेलफेयर ऑफ शेड्यूल्ड कास्ट एंड शेड्यूल्ड ट्राइब्स का सदस्य बना दिया गया। इसके कुछ ही महीनों वह राज्यसभा के सांसद बन गए। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे 1998 तक राज्यसभा सदस्य रहे। साल 1998 हुए लोकसभा चुनाव में रायगढ़ से सांसद चुने गए। ये सिर्फ एक किस्सा मात्र नहीं है, बल्कि स्वयं अजीत जोगी राजनीतिक चर्चा के दौरान इस संस्मरण को कई बार सुना चुके थे।