चीन की पीपल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) की आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए भारत ने ऊंचे युद्ध क्षेत्र के अपने सैनिकों की संख्या लद्दाख में बढ़ा दी है। चीन लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) सेक्टर में भारत के बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण को रोकना चाहता है, क्योंकि इससे अक्साई चिन के लहासा-काशगर हाईवे को खतरा पैदा हो सकता है। ये विशेष भारतीय सैनिक चीन के तिबत्ती स्वायत्त क्षेत्र से परिचित हैं और ऊंचे दुर्गम युद्ध क्षेत्र में अपने काम को अंजाम देने में माहिर हैं।
पीएलए ने यहां पर दो ब्रिगेड को तैनात किया है। इससे संकेत मिलता है कि इस कदम पर बिजिंग में मुहर लगाई गई है यह स्थानीय मिलिट्री कमांडर्स का फैसला नहीं हो सकता है।
स्थिति की समीक्षा के लिए पीएम नरेंद्र मोदी की अगुआई में हुई बैठक के बाद एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ''ऑस्ट्रेलिया से हांगकांग तक, ताइवान से साउथ चाइनी सी तक और भारत से अमेरिका तक लड़ाकू चीन हर कीमत पर अपना प्रभुत्व जमाना चाहता है।''
पीएम मोदी की रणनीतिक बैठक में मौजूद तीन चेहरे तीन साल में दूसरी बार इस परिस्थिति का सामना कर रहे हैं। नेशनल सिक्यॉरिटी अडवाइजर अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल विपिन रावत और विदेश मंत्री एस जयशंकर। इसी टीम ने 2017 में डोकलाम में भारत की प्रतिक्रिया की रूपरेखा तैयार की थी। 73 दिनों तक भारत चीन के सामने डटा रहा और फिर यह टकराव शांतिपूर्ण तरीके से खत्म हुआ। तब जनरल विपिन रावत सेना प्रमुख थे और जयशंकर भारत के विदेश सचिव।