कोरोना की वजह से 2020 के अंत तक 8.6 करोड़ बच्चे गरीब हो जाएंगे। इससे दुनिया भर में गरीबी से प्रभावित बच्चों की कुल संख्या 67.2 करोड़ हो जाएगी। यह पिछले साल की तुलना में 15% ज्यादा होगी। इनमें से करीब दो तिहाई बच्चे अफ्रीकी और भारत समेत अन्य दक्षिण एशियाई देशों के होंगे। यूनिसेफ और सेव द चिल्ड्रेन के साझा अध्ययन में यह बात सामने आई है।
इससे पहले वर्ल्ड बैंक ने भी महामारी से दुनियाभर में गरीबी बढ़ने की आशंका जताई थी। बैंक के प्रेसिडेंट डेविड मालपॉस ने पिछले हफ्ते एक कॉन्फ्रेंस में कहा था कि इससे पूरी दुनिया में छह करोड़ लोग बेहद गरीब हो जाएंगे। वे पिछले तीन साल में किए गए अपने सभी प्रॉफिट भी गंवा देंगे।
सामाजिक सुरक्षा प्रणाली का विस्तार करे सरकार
यूनिसेफ और सेव द चिल्ड्रेन ने सभी सरकारों से अनुरोध किया है कि वे अपनी सामाजिक सुरक्षा प्रणाली का विस्तार करें। स्कूलों में बच्चों को खाना उपलब्ध करवाने में तेजी लाएं, जिससे महामारी के असर को कम किया जा सके। दोनों एजेंसियों ने वर्ल्ड बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और करीब 100 देशों की आबादी के आधार पर महामारी फैलने का आकलन किया है। इसके मुताबिक, महामारी के यूरोप और मध्य एशिया में ज्यादा फैलने की ज्यादा आशंका है।
तत्काल कदम उठाएं तो महामारी का असर कम हो सकता है
यूनिसेफ की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हेनरिटा फोर ने कहा है कोरोना की वजह से परिवारों पर बड़े पैमाने पर आर्थिक संकट आएगा। इससे बच्चों में गरीबी कम करने में अब तक हुई प्रगति कई साल पीछे हो जाएगी। बच्चे जरूरी सेवाओं से वंचित हो जाएंगे। हालांकि, सेव द चिल्ड्रेन के प्रमुख इंगर एशिंग के मुताबिक, तत्काल और निर्णायक कदम उठाकर गरीब देशों पर पड़ने वाले महामारी के असर को रोका जा सकता है। इससे महामारी से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले बच्चों को भी बचाया जा सकेगा। इन बच्चों पर कम समय में भी भूख और कुपोषण का ज्यादा असर हो सकता है। इससे उनके पूरे जीवन पर असर पड़ने का खतरा है।