पिछले दो दशकों में सबसे बड़े रेगिस्तानी टिड्डी हमलों की खबरों ने देश के विभिन्न राज्यों के किसानों के लिए बहुत बड़ी चिंता खड़ी कर दी है. पिछले साल राजस्थान और गुजरात के किसान इससे प्रभावित हुए थे.
हालांकि इस साल टिड्डियों का झुंड बहुत तेजी से मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के किसानों को प्रभावित करने के लिए बढ़ रहा है. टिड्डी हमलों की वजह से काफी ज्यादा मात्रा में आर्थिक नुकसान और फसलों की बर्बादी होती है, जिसका खामियाजा अंतत: किसानों को ही भुगतना पड़ता है.
इस क्षति के पैमाने का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान सिर्फ राजस्थान और गुजरात के कुछ हिस्सों में ही टिड्डियों के हमले के कारण करीब दो लाख हेक्टेयर फसल बर्बाद हुई थी.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा 13 मार्च 2020 को राज्यसभा में पेश किए गए लिखित जवाब के मुताबिक 2019-20 के दौरान राजस्थान में 179,584 हेक्टेयर फसल बर्बाद हुई थी. वहीं इस दौरान गुजरात में कुल 19,313 हेक्टेयर फसलों को नुकसान पहुंचा था.
पंजाब और हरियाणा सरकार ने कहा है कि टिड्डियों के हमले के कारण राज्य में कोई फसल बर्बाद नहीं हुई थी.
कृषि मंत्री द्वारा संसद में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, टिड्डियों द्वारा हमले के कारण राजस्थान में सबसे ज्यादा जैसलमेर जिला प्रभावित हुआ, जहां 54,979 हेक्टेयर फसल बर्बाद हुई. वहीं जालौर जिले में टिड्डी हमले के कारण 53,682 हेक्टेयर फसल बर्बाद हुई.
इसी तरह श्रीगंगानगर जिले में 22,257 हेक्टेयर, बाड़मेर में 38,029 हेक्टेयर, बीकानेर जिले में 5,801 हेक्टेयर, जोधपुर जिले में 2,308 हेक्टेयर और सिरोही जिले में 12 हेक्टेयर फसलों को रेगिस्तानी टिड्डी (टिड्डी दल) के कारण नुकसान पहुंचा.