मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए चलाई गईं श्रमिक स्पेशन ट्रेनें रेलवे की बदइंतजामी का जीता जागता उदाहरण बन कर रह गई हैं। बिहार में इसकी भयानक तस्वीरें सामने आ रही हैं। मुजफ्फरपुर में दो अलग-अलग घटनाओं में ट्रेन से लौट रही महिला और एक मासूम की मौत हो गई, जबकी गलत रूट की वजह से चल रही घंटों लेट हो रही ट्रेनों की वजह से परेशान मजदूरों का गुस्सा फूट पड़ा। कैमूर और बाढ़ में सफर कर रहे मजदूरों ने हंगामा किया तो समस्तीपुर में 4 दिन से सफर कर रही एक महिला को बीच सफर में ही उतार कर डिलीवरी करानी पड़ी।
रेलवे की लापरवाही बेतिया के एक परिवार को हमेशा के लिए दर्द दे गई। परिवार दिल्ली से ट्रेन से मुजफ्फरपुर पहुंचा था। इन्हें दूसरी ट्रेन से अपने घर के लिए निकलना था। परिवार का आरोप है उन्हें रेलवे की तरफ से दूसरी ट्रेन आने की बार-बार गलत इनफॉर्मेशन दी गई। इस चक्कर में सुबह 10 से शाम 4 बज गए। इस दौरान परिवार ट्रेन का इंतजार करता रहा। आखिरकार शाम 4 बजे भूख प्यास से बच्चे की मौत हो गई। परिवार का आरोप है कि भूख और गर्मी के वजह से बच्चे की मौत हुई है। अगर स्टेशन पर सही इंतजाम होते तो शायद बच्चे की जान बच सकती थी।
वहीं ट्रेन से बिहार से लौट रही एक महिला ने चलती ट्रेन में दम तोड़ दिया। महिला का परिवार ट्रेन से कटिहार जा रहा था। बताया जा रहा है कि महिला की तबीयत पहले से खराब थी, पर जब मुज़फ़्फ़रपुर में उक्त महिला के शव को उतारा गया, तब बगैर किसी सुरक्षा के शव को समान ढुलाई करने वाले ठेले पर लादकर अस्पताल भेजा गया। कोरोना के इस दौर में यदि मृतका जांच के बाद पॉजिटिव पाई जाती है, तब ठेला चालक और अन्य व्यक्ति जो उस ठेला पर लदे समान को छुएंगे सब कोरोना से संक्रमित हो सकते हैं।