नेपाल के मंन्त्रिमंडल ने देश के नए नक़्शे का सर्मथन किया जिसमें भारत के उत्तराखंड का हिस्सा भी शामिल हैं। भारत इससे इनकार करता रहा हैं। लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी के भारतीय क्षेत्रों को शामिल करते हुए नए राजनीतिक मानचित्र को प्रचारित करने का इरादा रखती हैं।
मंन्त्रिमंडल का फ़ैसला भारत की ओर से लिपुलेख इलाक़े में सीमा सड़क के उद्धाटन के दस दिनों बाद आया हैं। लिपुलेक से होकर ही तिब्बत चीन के मानसरोवर जाने का रास्ता हैं।
इस सड़क के बनाए जाने के बाद नेपाल ने कड़े शब्दों में भारत के क़दम का विरोध किया था।
पिछले हफ्ते नेपाली राष्ट्रपति बिद्यादेवी भंडारी ने कहा कि – लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी क्षेत्र नेपाल का क्षेत्र है। लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानीको भारत का हिस्सा बताया जाता है। नेपाल भी दावा जताता रहा है। जानकारों का मानना है कि नेपाल के नए कदम के पीछे चीन की भूमिका है।