महाविद्वान आचार्य चाणक्य का कहना है की दोस्ती/ मित्रता / या उठना बैठना केवल अपने ही स्तर में ही या अपने समकक्ष बराबर वालों में ही करना चाहिए !
वह बराबरी का स्तर चाहे ज्ञान का हो , चाहे यश का हो , चाहे कीर्ति का हो , चाहे धन का हो , चाहे बुद्धि का हो , किसी एक में अवश्य वह आपके समकक्ष होना चाहिए !
वरना आपकी Value और Importance ख़तम हो जाएगी !
वह आपको और आपकी महत्ता को समझ नहीं पायेगा ! वह आपको बिलकुल अपनी ही बुद्धि के अनुरूप judge करेगा !
वह आपकी सहृदयता और सरलता को बहुत ही साधारण समझकर आपकी विशेषता और गरिमा को विखंडित और छिन्न भिन्न कर देगा !
इसीलिए जरुरी है की ऐसे विद्वानों के हर बात को हृदयंगम करते हुए उसे follow करना चाहिए !!