विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, लॉकडाउन के ठीक बाद रेलवे केवल नॉन एसी ट्रेनों का संचालन शुरू करेगा। ट्रेनें केवल ग्रीन जोन में चलेंगी और केवल इमर्जेंसी सेवा के लिए इसे शुरू किया जाएगा। कंटेनमेंट जोन और हॉटस्पॉट इलाके में कोई यात्री ट्रेन नहीं चलाई जाएगी साथ ही किराया भी बहुत ज्यादा होगा जिससे कम और जरूरी वाले लोग ही ट्रेन से सफर करें। इन दिनों रेलवे के अधिकारियों के बीच रेलगाड़ियों में एक नई श्रेणी शुरू करने की चर्चा जोर शोर से हो रही है।
दरअसल, चर्चा शुरू हुई है रेलवे उन पुराने डिब्बों के फिर से इस्तेमाल किया जाए जो इन दिनों कोरोना रोगियों के लिए आइसोलेशन वॉर्ड के रूप में बदले जा रहे हैं। रेल मंत्रालय ने देसी तकनीक से बने 20000 स्लीपर कोच में फेरबदल कर आइसोलेशन वॉर्ड में बदलने का फैसला किया है। इस पर काम भी तेजी से चल रहा है और देश के सभी रेल डिविजनों में नॉन एसी स्लीपर कोच को आइसोलेशन वॉर्ड में बदला जा रहा है। इनमें मिडिल बर्थ को काटकर हटाया जा रहा है ताकि मरीजों को रखने पर भी डिस्टेंस बना रहे।
रेल के कुछ अधिकारियों का कहना है कि जब यह संकट खत्म हो जाएगा तो इन 20000 डिब्बों का क्या होगा? इन्हें ऑक्शन में बेच दिया जाएगा या फिर डिसइनफेक्ट कर फिर से गाड़ियों में जोड़ा जाएगा। यदि गाड़ियों में जोड़ा जाएगा तो फिर किस श्रेणी के तहत इसमें टिकट की बिक्री होगी। इसी पर यह सुझाव आया है कि जिस तरह से एसी टू टीयर स्लीपर कोच की श्रेणी बनी हुई है, उसी तरह नॉन एसी टू टीयर स्लीपर कोच के नाम से एक नई श्रेणी क्यों नहीं शुरू की जाए! कुछ अधिकारियों का कहना है आइसोलेशन वॉर्ड बनाए गए कोच में क्यों ना फिर से मिडिल बर्थ जोड़ा जाए। लेकिन उसमें समय भी ज्यादा लगेगा और खर्च भी बढ़ेगा। यदि ऐसे सुझाव पर अमल किया जाता है तो इस नई श्रेणी में स्लीपर क्लास के मुकाबले ज्यादा किराया हो सकता है। एक अधिकारी का कहना है कि जैसे एसी थ्री टीयर और एसी टू टीयर के किराये में अंतर है, उसी तरह नॉन एसी थ्री टीयर और नॉन एसी टू टीयर क्लास के किराए में अंतर हो सकता है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि अभी इस बात की चर्चा भर शुरू हुई है, इस पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। इधर लॉकडाउन खत्म होने के बाद दिल्ली मेट्रो ने अपने संचालन को चाक-चौबंद करने की तैयारी पूरी कर ली है। रोज लाखों की संख्या में मुसाफिरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने वाली दिल्ली मेट्रो लॉकडाउन के खत्म होने के बाद अपने संचालन को लेकर सतर्क है। यात्रियों और मेट्रोकर्मियों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए मुसाफिरों को मेट्रो में सफर करने के दौरान बदले हुए नियम कानूनों का पालन करना होगा।
गुरुवार को सीआईएसएफ द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव के अनुसार, लॉकडाउन के बाद मेट्रो में सफर करने वाले यात्रियों को शारीरिक तलाशी के पहले अपने शरीर से किसी भी धातु की वस्तु को बाहर निकालना होगा। इसके अलावा यात्रिओं को फेस मास्क पहनना अनिवार्य होगा। वहीं, आरोग्य सेतु एप्लिकेशन का उपयोग पास के रूप में किया जाएगा। प्रस्ताव के अनुसार, यदि किसी मुसाफिर में फ्लू जैसे कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं तो उसे यात्रा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
बता दें कि सीआईएसएफ ने यात्रिओं और रेलकर्मियों की सुरक्षा के लिए गुरुवार को बिजनेस कंटिन्यूटी प्लान प्रस्तुत किया था। इसी प्लान में इन सभी योजनाओं का उल्लेख किया गया है। सीआईएसएफ की योजना के अनुसार, 160 से अधिक मेट्रो स्टेशनों पर 12 हजार से अधिक जवानों को तैनात किया जाएगा। जो यात्रियों प्रवेश से लेकर निकास तक की हर गतिविधि पर नजर रखेंगे। वहीं, प्रवेश द्वार पर सीआईएसएफ द्वारा यात्रियों को सेनेटाइजर भी दिया जाएगा। थर्मल स्क्रीनिंग में सामान्य ताप वाले यात्रियों को ही मेट्रो स्टेशन में प्रवेश करने दिया जाएगा। जबकि जिस यात्री का तापमान ज्यादा आएगा उसे गेट से ही वापस कर दिया जाएगा।