प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 अप्रैल को एक बार फिर सभी मुख्यमंत्रियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात करेंगे। इस मीटिंग में सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री शामिल होंगे। प्रधानमंत्री ने पिछली बार 11 अप्रैल को मुख्यमंत्रियों के साथ राय-मशविरा किया था और फिर लॉकडाउन की समयसीमा बढ़ाने पर सहमति बन गई। इसी आम राय पर 14 अप्रैल को खत्म होने वाले लॉकडाउन की मियाद बढ़ाकर 3 मई कर दी गई। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या अगली मीटिंग का मुख्य मुद्दा लॉकडाउन खत्म करना या अवधि बढ़ाने का ही होगा? यह सवाल इसलिए भी मायने रखता है क्योंकि मुस्लिम समुदाय का पवित्र रमजान का महीना 23-24 मई को खत्म होगा।
आशंका यह है कि समुदाय के लोग त्योहार के उत्साह में बाजार में निकलेंगे, एक-दूसरे से मेल-मिलाप करेंगे और इफ्तार पार्टी जैसे भीड़-भाड़ वाले आयोजन में कोरोना का डर बना रहेगा। मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति फिरोज बख्त अहमद ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस आशंका से अवगत कराया है और उनसे लॉकडाउन की समयसीमा फिर से बढ़ाने की मांग की है। अहमद ने पीएम से आग्रह किया कि लॉकडाउन को रमजान के पवित्र महीने के खत्म होने तक बढ़ा देना चाहिए। उन्होंने पत्र में यह भी कहा कि अगर लॉकडाउन तीन मई के बाद खोला जाता है तो ऐसे में बहुत सारे लोग खरीदारी करने और इबादत के लिए जमा हो सकते हैं।
वैसे भी तेलंगाना जैसे राज्य ने पहले ही लॉकडाउन को 7 मई तक बढ़ाने की घोषणा कर रखी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में कोरोना संकट पर साझा रणनीति तैयार करने के लिए मुख्यमंत्रियों से अब तक दो बार बातचीत कर चुके हैं। उन्होंने 11 अप्रैल को लॉकडाउन की समयसीमा बढ़ाने पर विचार करने के लिए बुलाई मीटिंग से पहले 20 मार्च को भी ऐसी ही मीटिंग की थी। कोरोना संकट पर सभी मुख्यमंत्रियों के साथ 20 मार्च की पहली मीटिंग के बाद ही 24 मार्च से 14 अप्रैल तक तीन सप्ताह के लिए देशव्यापी लॉकडाउन का ऐलान किया गया था। अब 27 अप्रैल की तीसरी मीटिंग में लॉकडाउन पर निर्णायक चर्चा होने की उम्मीद की जा रही है।