आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित परंपरा के इतिहास में पहली बार भगवान बदरीनाथ और केदारनाथ के 6 माह के एकांतवास को समाप्त करने से पहले उनके रावलों को भी 14 दिन के एकांतवास में रखा जा रहा है और इन रावलों को ठीक 14 दिन के बाद मुक्त किया जाएगा, ताकि वे 29 और 30 अप्रैल को प्राचीन परंपरानुसार बदरीनाथ और केदारनाथ के कपाट खोल सकें।
राज्य सरकार ने दोनों रावलों को क्वारंंटाइन करने का निर्णय अतीत के अनुभवों को ध्यान में रखते हुए महामारी फैलने से रोकने के लिए एहतियात के तौर पर लिया है। इन महामारियों में स्वयं केदारनाथ के रावल की भी मौत हुई थी। आदि गुरु शंकराचार्य की भी केदारनाथ में ही मृत्यु हई थी।
कपाट तो खुलेंगे मगर यात्रा नहीं
यद्यपि उत्तराखण्ड में कोरोना की आंधी पर ब्रेक लग ही गया है फिर भी राज्य सरकार ने एहतियात के तौर पर आगामी 30 अप्रैल तक लाॅकडाउन की अवधि बढ़ा दी है। जबकि 29 अप्रैल को केदारनाथ और 30 अप्रैल को बदरीनाथ के कपाट खुलने हैं।
गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट तो 26 तारीख को ही ग्रीष्मकाल के लिए खुल जाएंगे। चूंकि इस यात्रा में देश विदेश के लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं और सारा विश्व ही महामारी से जूझ रहा है, इसलिए देश में हालात सामान्य होने से पहले यात्रियों को यहां आने की अनुमति देना खतरनाक हो सकता है।
ऐसे में सरकार बीच का रास्ता निकालते हुए पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार कपाटोद्घाटन का कार्यक्रम तो होने दे रही है, मगर यात्रियों को फिलहाल आने की अनुमति नहीं होगी। कपाटोद्घाटन के लिए भी दोनों धामों के रावलों का मौजूद रहना अनिवार्य है।