स्थानीय समय के अनुसार 5 अप्रैल को अफगान तालिबान ने घोषणा की कि अमेरिका और उसके सहयोगियों ने अमेरिका-तालिबान शांति समझौते का उल्लंघन किया। तालिबान ने कहा कि अफगान सरकार द्वारा 5000 तालिबान बंदियों की रिहाई में देरी आई और अमेरिकी सेना ने तालिबान पर फिर से हवाई हमला किया। तालिबान ने अमेरिका से अमेरिका-तालिबान शांति समझौते का पूरी तरह से पालन करने की अपील की।
गौरतलब है कि 29 फरवरी को अमेरिका ने अफगान सरकार के साथ संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर किया और तालिबान के साथ शांति समझौते पर भी हस्ताक्षर किया। इस समझौते के अनुसार तालिबान और अफगान सरकार 10 मार्च को वार्ता करेंगे और इससे पहले अफगान सरकार को 5000 तालिबान बंदियों की रिहाई करनी थी जबकि तालिबान को 1000 अफगान सरकारी बंदियों की रिहाई करनी थी।
लेकिन अमेरिका और अफगान सरकार के संयुक्त बयान में इसके बारे में कुछ नहीं कहा गया। और बाद में अफगान राष्ट्रपति मोहम्मद अशरफ गनी ने कहा कि बंदियों की रिहाई अफगानिस्तान का आंतरिक मामला है। अमेरिका के इसमें हिस्सा लेने का कोई अधिकार नहीं है।
बाद में समन्वय के साथ 11 मार्च को गनी ने तालिबान बंदियों को रिहा करने के राष्ट्रपति आदेश पर हस्ताक्षर किया, जिसके मुताबिक इन बंदियों को युद्ध के मैदान में कभी नहीं लौटने का लिखित प्रतिबद्धता बनाने की जरूरत है और रिहा होने से पहले बायोमेट्रिक प्रक्रिया लेनी है।