गरीब बेसहारा को खाना खिलाना डॉ. संतोष चमोली धर्म मानते है । डॉ. चमोली का कहना है कि गरीबो की सेवा करना व भूखो को खाना खिलाना ही भगवान की असली भक्ति है ।
भगवान की भक्ति करने का सही तरीका यह है कि आप किसी को गलत न बोले ओर न ही किसी का गलत करें । डॉ. चमोली देहरादून के रायवाला के रहने वाले है । मन मे हमेशा गरीबो बेसहारा लोगो की मदद करने की सोच रहती है । अपने काफी कामो में व्यस्त रहने के बावजूद भी शनिवार और रविवार समाज सेवा के लिए रखते है । इन कार्यो में डॉ. चमोली का पूरा परिवार सहयोग करता है ।
मानव सेवा को अपना परमधर्म मानते हुए डॉ. चमोली का कहना है कि लोग मंदिरो में पैसे और खाने का सामान चढ़ाते है और उसको भगवान खाने नही आते उसका मंदिर के लोग ही प्रयोग करते है ,वही खाना ओर पैसा गरीबो को दिया जाए तो भगवान खुश होंगे । आपको भी अच्छा लगेगा और भगवान भी खुश होंगे ।
आज देहरादून के गरीब इलाको में जाकर भोजन कराया व उनकी जरूरतों को पूरा करने का प्रयास किया । डॉ. चमोली की धर्म पत्नी स्वम् घर पर खाना बनाती है और फिर बाँटने जाते है ।
जब कोई व्यक्ति अपनी समस्या को आपके सम्मुख रखता है,तब वह आप पर ईश्वर के जैसा पूर्ण विश्वास रखता है । इसलिए इंसान का धर्म यह भी होना चाहिए कि किसी आ विश्वास न टूटे ।
डॉ. चमोली आगे बताते है कि गरीबी और भूख से उपजी भुखमरी इन दोनों से विवश हो , जब कोई भिखारी बन जाता है तो वह व्यक्ति समाज के लिए अभिशाप बन जाता है । और उसे सामाजिक समस्या करार दिया जाता है । सन 2000 में ये अनुमान लगाया गया था कि 2010 के बाद दुनिया में बेसुमार प्रगति होगी , ओर आर्थिक स्तर भी ऊंचा होगा । इसी के आधार पर 2020, 2030,ओर 2050 के तमाम सपने सँजो लिए गए । लेकिन इन सभी के बीच किसी ने शायद दुनिया में उस तबके के बारे में नही सोचा । जहां फटे-टूटे फूस के आंगन में भूख, भुखमरी और भिखारी एक साथ जन्म लेते है ।
इन्ही समस्याओ को दूर करने का बेड़ा उठा चुके डॉ. चमोली हर शनिवार को गरीबो को भोजन कराते है ।और इन्ही गरीबो , भिखारियों के बच्चो को स्कूल में भर्ती करते है । और उनकी पढ़ाई में होने वाले खर्च को अपनी जेब से वहन करते है । चैनल द्वारा पूछे जाने पर डॉ. चमोली कहते है कि मेरा सपना है कि कोई भूख न मरे , गरीबी और भुखमरी के भिखारी न बन जाये । इसी मिशन को लेकर डॉ. चमोली चल रहे है । डॉ. चमोली चैनल को धन्याबाद देते है की मेरी बातो को देश दुनिया तक पहुचाया ।