अफ्रीकी देश नाइजर को लेकर भी एक वॉर फ्रंट खुल गया है। नाइजर में तख्तापलट के बाद अमेरिका के खिलाफ पुतिन ने डबल-ट्रैप तैयार किया है। पुतिन ने एशिया और अफ्रीका में भी बाइडन को घेरने का प्लान बनाया है। कहा जा रहा है कि पुतिन अपनी सबसे खतरनाक मिसाइल को अफ्रीकी देश नाइजर में पहुंचा चुके हैं। दूसरी तरफ, बाइडेन को घेरने के लिए पुतिन उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग की भी मदद ले रहे हैं।
बाइडेन को घेरने के लिए पुतिन ने एक साथ दो मोर्चों पर एक्शन तेज कर दिया है। बाइडेन को डबल ट्रैप में घेरकर पुतिन अमेरिका पर दोतरफा अटैक करना चाहते हैं। पुतिन ने एक तरफ अफ्रीकी देश नाइजर में खौफनाक हथियार पहुंचाने शुरु कर दिए हैं तो दूसरी तरफ वो बाइडेन के खिलाफ उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग को हवा दे रहे हैं।
मीडिया रिपोर्टेस के मुकाबिक यूक्रेन वॉर के बीच पुतिन, मिशन नाइजर पर भी काम कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर आई खबरों के मुताबिक, पुतिन ने अपनी सबसे खतरनाक मिसाइल सरमत को नाइजर पहुंचाया है, जबकि इस मिसाइल का इस्तेमाल रूस ने आज तक कभी नहीं किया है। सरमत मिसाइल का इस्तेमाल अभी तक यूक्रेन की जंग में भी पुतिन ने नहीं किया है।
रूस की ‘सरमत’ को दुनिया की सबसे खतरनाक परमाणु मिसाइलों में से माना जाता है। इसकी रेंज 18 हजार किलोमीटर तक बताई जाती है। साथ ही यह मिसाइल एक बार में 10 जगहों पर परमाणु हमला करने में सक्षम है। ऐसे में सवाल है कि क्या बेहद खतरनाक सरमत मिसाइल को अफ्रीकी देश नाइजर में भेजकर पुतिन ये संदेश दे रहे हैं कि अगर जंग छेड़ी गई तो वो किसी को संभलने का भी मौका नहीं देंगे।
क्या पुतिन अपनी इस विध्वंसक मिसाइल को नाइजर भेजकर सुपरपावर्स को ये मैसेज देना चाहते हैं कि अगर महयुद्ध हुआ तो वो एक ही हमले में सबकुछ खत्म कर देंगे। क्योंकि नाइजर जैसे देश में सिर्फ सरमत मिसाइल ही सबकुछ तबाह कर सकती है।
अफ्रीकन सेंटर की रिसर्च के मुताबिक, नाइजर और अल्जीरिया से लेकर अंगोला तक दो दर्जन देश ऐसे हैं, जहां रूस का काफी प्रभाव है। रूस ने अफ्रीका में कई पॉवरफुल दोस्त बनाए हैं। यही नहीं, पिछले चार-पांच सालों में वैगनर ग्रुप के हजारों लड़ाकों को पुतिन ने अफ्रीका के अलग-अलग देशों में तैनात कर रखा है। वैगनर ग्रुप के लड़ाके नाइजर के साथ-साथ पड़ोसी मुल्क माली और बुर्किना फासो में भी तैनात हैं।