उत्तराखंड में अलकनंदा और पिंडर नदी के संगम कर्णप्रयाग के बहुगुणा नगर में बीते एक साल से हो रहे भू धंसाव से करीब पचास भवनों पर दरारें आ गई हैं जिससे यहां के करीब 100 परिवार खतरे की जद में आ गए हैं। इसमें आठ मकान बेहद असुरक्षित हो गए हैं जो कभी भी जान माल के लिए खतरा बन सकते हैं। इसे देखते हुए कर्णप्रयाग तहसील प्रशासन की संयुक्त टीम बदरीनाथ हाईवे के किनारे बसे बहुगुणा नगर व सब्जी मंडी के ऊपरी भाग आईटीआई क्षेत्र में हो रहे भू-धंसाव से क्षतिग्रस्त भवनों के निरीक्षण के साथ मूल्यांकन के लिए पहुंची। प्रशासन की टीम ने मौके पर 25 मकानों में बड़ी दरारें पाई, जिसमें आठ मकान अधिक रूप से असुरक्षित पाए।
इस दौरान प्रभावित लोगों का कहना है कि आपदा आए एक साल से अधिक का समय हो गया लेकिन प्रशासन अब सुध ले रहा है। जिसे लेकर प्रभावितों में खासा रोष भी व्याप्त है। तहसील प्रशासन की टीम ने क्षतिग्रस्त भवनों का निरीक्षण कर आठ भवनों को बेहद असुरक्षित घोषित किया किया है जो कभी भी जान माल के लिए खतरा बन सकते हैं। टीम ने आठ पीड़ित परिवारों को भवन खाली करने के नोटिस थमा दिए हैं। साथ ही इन परिवारों को कर्णप्रयाग नगर पालिका के रैन बसेरे में रहने के निर्देश दिए गए हैं। यही नहीं इन्हें रेन बसेरे के कमरों की चाबियां भी दे दी गई हैं।
आपदा प्रभावितो का कहना है कि तहसील प्रशासन द्वारा भवनों को खाली करने के नोटिस थमा दिए गए हैं, लेकिन मुआवजा का कोई जिक्र नहीं किया गया। जोशीमठ की तरह हमें भी मुआवजा दिया जाना चाहिए। प्रभावितों ने कहा है कि यदि मुआवजा नही दिया गया तो वे सड़क पर ही प्राण त्याग देंगे। कर्णप्रयाग के तहसीलदार सुरेंद्र देव सिंह ने कहा प्रशासन इस मामले में पूरी संवेदनशीलता के साथ कार्य कर रहा है। लगातार शासन प्रशासन से इस मामले की रिपोर्ट भेजी जा रही हैं। प्रभावितों को नगर पालिका के रेन बसेरे में रहने के लिए चाबिया दे दी गई है, साथ ही सहायता राशि के लिए जिलाधिकारी के साथ प्रशासन को लिखा गया है।