तालिबान के अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर क़ाबिज़ हुए आज एक साल पूरे हो गए हैं। 2021 में 15 अगस्त को ही तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान पर दोबारा क़ब्ज़ा कर लिया था। इसके बाद लाखों लोगों की ज़िंदगी बदल गई और लोगों को उनके ही देश से निकालने के लिए अभियान चलाए गए। पढ़ें एक साल बाद कैसा है अफ़ग़ानिस्तान का हाल।
अमेरिका और उसके सहयोगियों ने जब अपनी सेना वापस बुलाने का फैसला किया, तब तालिबान ने अपने आख़िरी दौर की लड़ाई तेज़ कर दी थी। इससे पहले 1996 से 2001 के बीच तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता क़ब्ज़ाई थी। हालांकि, हमले के बाद, अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्ता में सेना भेज दिए और फिर देश में एक 20 साल लंबा युद्ध शुरू हो गया।
अगस्त महीने की शुरुआत में तालिबानी लड़ाकों ने अपना अभियान तेज़ किया और 10 दिनों के भीतर देश के कई महत्वपूर्ण शहरों पर क़ब्ज़ा कर लिया। इसके बाद अमेरिका को अपनी सेना आनन-फानन में वापस बुलानी पड़ी और 15 अगस्त को आधिकारिक रूप से तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान पर जीत का ऐलान किया। इससे पहले ही अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ ग़नी को देश छोड़कर अबू धाबी भागना पड़ा था।
आत्मघाती हमले में 13 अमेरिकी सैनिकों समेत मारे गए 100 से ज़्यादा लोग
इसके बाद हज़ारों की संख्या में अफ़ग़ानी और विदेशी नागरिक काबुल एयरपोर्ट पर एकत्रित होने लगे। अमेरिका ने अमेरिकी बैंकों में अफ़ग़ानिस्तान के 72 अरब डॉलर के फॉरेन रिज़र्व को फ्रीज़ कर दिया और अफ़ग़ानिस्तान को आगे मदद से हाथ खड़े कर दिए। देश छोड़ने के दौरान काबुल एयरपोर्ट पर इकट्ठा हुए लोगों पर आत्मघाती हमले भी हुए।
26 अगस्त को काबुल एयरपोर्ट पर एक के बाद एक आत्मघाती हमले में 100 से ज़्यादा लोग मारे गए, जिसमें अमेरिकी सेना के 13 जवान भी शामिल थे। हालांकि इस हमले की आईएसआईएल ने ज़िम्मेदारी ली थी जो तालिबान का एक राइवल आतंकी ग्रुप है। 30 अगस्त को तालिबानियों ने अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद बड़े स्तर पर जश्न मनाए।
अफ़ग़ानिस्तान में लौटा कट्टरवाद
तालिबान के अपने दमनकारी तरीकों को समाप्त करने के दावे के बावजूद, उसकी नीतियों में कुछ बदलाव नज़र नहीं आते। तालिबान ने सितंबर 2021 में एक नई अंतरिम सरकार का गठन किया और दावा किया कि महिलाओं को उनका हक़ दिया जाएगा, लेकिन सरकार गठन में महिलाओं का नामो-निशान नहीं था। सभी प्रमुख पद सिर्फ कट्टरपंथी तालिबानियों को दी गई और मंत्रिमंडल में एक भी महिला शामिल नहीं की गई।
तालिबान ने प्रमोशन ऑफ वर्चु और प्रीवेंशन ऑफ वाइस नाम से एक मंत्रालय का भी गठन किया, जिससे इस्लाम की कठोर इंटरप्रीटेशन को लागू किया जा सके, जिसमें ख़ासतौर पर महिलाओं के लिए बनाए गए नए कठोर नियम शामिल हैं।
अफ़ग़ानों की मदद के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बातचीत
तालिबानी क़ब्ज़े के बाद अफ़ग़ानिस्तान में लोग भयंकर ग़रीबी और खाने-पीने तक की समस्याओं का सामना करने लगे। तालिबान के क़ब्ज़े के बाद देश में गंभीर आर्थिक और मानवीय संकट पैदा हो गई। इससे निपटने के लिए नॉर्वे ने तालिबानी नेताओं को अफ़ग़ान सिविल सोसायटी और वेस्टर्न डिप्लोमेट से बातचीत के लिए आमंत्रित किया, जिसमें तालिबान के वरिष्ठ नेता पहुंचे थे।
इस मीटिंग में यह फैसला लिया गया कि, अफ़ग़ानिस्तान के लोगों को सीधे तौर पर मदद दी जाएगी। इसके लिए तालिबान ने भी हामी भरी और फिर कई देशों ने सीधे अफ़ग़ानों के लिए मदद भेजी, जिसमें भारत भी शामिल है। भारत कई बार अफ़ग़ानिस्तान के लेगों के लिए अनाज और अन्य ज़रुरी चीज़ें मुहैया करा चुका है।
महिलाओं के लिए समस्याएं बढ़ी
तालिबानी क़ब्ज़े के बाद, अफ़ग़ानिस्तान में जिनपर सबसे ज़्यादा संकट पैदा हुई है वो हैं महिलाएं और लड़कियां। मार्च महीने में तालिबान ने सेकेंड्री स्कूलों में लड़कियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया। तालिबान का यह फरमान स्कूल खुलने के कुछ ही घंटों बाद सामने आया। इतना ही नहीं सरकारी कर्मचारियों के लिए दाढ़ी रखने को भी अनिवार्य कर दिया गया है।
मई महीने में तालिबान ने एक और फरमान जारी किया जिसमें महिलाओं और लड़कियों को सख्ती से पर्दा करने का आदेश दिया गया। महिलाओं के लिए पब्लिक प्लेस में हिजाब और चेहरा ढंकने को सख्ती के साथ अनिवार्य किया गया। वहीं धार्मिक कट्टर पुलिस ने महिलाओं को घरों में रहने का आदेश जारी किया।
महिलाओं को लेकर तालिबान ने यह फरमान भी जारी किया कि वे किसी मर्द के साथ ही पब्लिक प्लेस में जा सकती हैं। महिलाओं के अकेले घर से बाहर निकलने पर और सख़्त नियम लागू किए गए हैं। तालिबान के इस फरमान के बाद काबुल और हेरात में बड़ी संख्या में महिलाएं सड़कों पर उतर आई थीं।
मीडिया में काम करने वाली महिलाओं के लिए भी हिजाब को अनिवार्य कर दिया गया, जिसकी दुनियाभर में आलोचना भी हुई। इतना ही नहीं महिलाओं को अकेले घर से दूर यात्राओं पर प्रतिबंध और पब्लिक पार्कों में सिर्फ पुरुषों की ग़ैरमौजूदगी में ही जाने की इजज़त है।