पीएम नरेंद्र मोदी ने महात्मा बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी में कहा कि नेपाल के बिना तो हमारे राम भी अधूरे हैं। उन्होंने कहा कि आज यदि भारत में राम मंदिर बन रहा है तो नेपाल के लोगों को भी खुशी होगी। भारत के लोगों ने हजारों सालों से आस्था के साथ देखा है।
यह देश अपनी संस्कृति को बचाकर रखने वाला है। पीएम मोदी ने कहा कि हमारी साझा विरासत, साझा संस्कृति और साझा प्रेम है। यही हमारी पूंजी है। यह जितनी सशक्त होगी, उतना ही हम दुनिया को बुद्ध का संदेश पहुंचा सकते हैं। आज जिस तरह विश्व में हालात बन रहे हैं, उसमें भारत और नेपाल की घनिष्ठता संपूर्ण मानवता के हित का काम करेगी। इसमें भगवान बुद्ध के प्रति हम दोनों ही देशों की आस्था एक सूत्र में जोड़ती है, एक परिवार का सदस्य बनाती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बुद्ध बोध भी हैं और शोध भी हैं। वह विचार भी हैं और संस्कार भी हैं। महात्मा बुद्ध इसलिए भी विशेष हैं क्योंकि उन्होंने केवल उपदेश नहीं दिए बल्कि मानवता को ज्ञान की अनुभूति कराई। निश्चित रूप से उनका जन्म किसी साधारण बालक के रूप में नहीं हुआ था। उन्होंने हमें अहसास कराया कि प्राप्ति से ज्यादा महत्व त्याग का होता है। इसलिए उन्होंने जंगलों में विचरण किया, तप किया और शोध किया। उस आत्मशोध के बाद वह जब ज्ञान के शीर्ष पर पहुंचे तो उन्होंने किसी चमत्कार से लोगों के कल्याण का दावा कभी नहीं किया। उन्होंने हमें वह रास्ता बताया, जिसे उन्होंने खुद जिया था।
महात्मा बुद्ध के संदेशों का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'बुद्ध ने कहा था कि अपना दीपक खुद बनो। मेरे विचारों को भी सोच-समझकर आत्मसात करो।' उन्होंने कहा कि पूर्णिमा के ही दिन महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था और इसी दिन बोध गया में उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ और फिर इसी तिथि को उन्हें निर्वाण प्राप्त हुआ। यह कोई संयोग मात्र नहीं था। यही मानव जीवन की पूर्णता है। पूर्णिमा ही पूर्णता का प्रतीक है। महात्मा बुद्ध भौगोलिक सीमाओं से ऊपर उठकर सबके हैं और सबके लिए हैं। भगवान बुद्ध के साथ मेरा एक संबंध भी है। इसमें एक अद्भुत और सुखद संयोग भी है।
मेरा जन्म जिस वडनगर में हुआ था, वह प्राचीन दौर में बौद्ध शिक्षा का बड़ा केंद्र था। वहां आज भी बड़े पैमाने पर अवशेष निकल रहे हैं। भारत में ऐसे कई शहर हैं, जहां लोग उन्हें उस राज्य की काशी के तौर पर जानते हैं। काशी के समीप सारनाथ से मेरी आत्मीयता से आप भी जानते हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमें इस विरासत को साथ मिलकर समृद्ध करना है। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि नेपाल सरकार लुंबिनी और बुद्ध सर्किट के विकास के लिए सहयोग कर रही है और योगदान दे रही है। उन्होंने कहा कि नेपाल और भारत का संबंध हिमालय जितना ही पुराना और अटल है। अब हमें अपने रिश्तों को उतनी ही ऊंचाई भी देनी है।