नेपाल सरकार ने विरोध के बीच रविवार को 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर की विवादास्पद मिलेनियम कॉर्पोरेशन चैलेंज परियोजना से जुड़े समझौते को संसद में मंजूरी के लिए पेश किया।
अमेरिका की इस परियोजना को लेकर नेपाल में जोरदार विरोध किया जा रहा है और इस मुद्दे को लेकर हिमालयी देश में राजनीतिक ध्रुवीकरण तेज हो गया है। प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा, सीपीएन-माओवादी सेंटर के चेयरमैन पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' और सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट के प्रमुख माधव कुमार नेपाल उन नेताओ में शामिल थे, जिन्होंने रविवार की सुबह गठबंधन दलों की संयुक्त बैठक में भाग लिया।
यह बैठक देउबा के आधिकारिक आवास बलुआतर में हुई, जिसमें आम सहमति से संसद में समझौते को पेश करने का फैसला लिया गया। हालांकि, जब सूचना, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ज्ञानेंद्र बहादुर कार्की ने प्रतिनिधि सभा में समझौते को पेश किया, तो सत्तारूढ़ दल के कुछ सदस्यों समेत विपक्षी दलों के सांसदों ने इसका तीव्र विरोध किया गया। अधिकारियों ने कहा कि संसद के बाहर कम्युनिस्ट पार्टी के छोटे गुटों और कई वाम समर्थक युवा संगठनों ने रैलियां की और अमेरिका विरोधी नारे लगाए।
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया। इस बीच कुछ विपक्षी सांसदों द्वारा समझौते के खिलाफ बोलने के बाद अध्यक्ष अग्नि सपकोटा ने सत्र स्थगित कर दिया। सूत्रों ने बताया कि सदन की अगली बैठक 24 फरवरी को होनी है।
नेपाल के राजनीतिक दल एमसीसी समझौते के तहत अमेरिकी अनुदान सहायता को स्वीकार करने को लेकर विभाजित हो गए हैं। यह समझौता प्रतिनिधि सभा में विचाराधीन है।
नेपाल के वामपंथी राजनीतिक दल इस समझौते का विरोध करते हुए कह रहे हैं कि यह राष्ट्रीय हित में नहीं है और यह चीन का मुकाबला करने के लिए है। बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने शुक्रवार को कहा कि चीन नेपाल को मिलने वाली अंतरराष्ट्रीय सहायता देखकर 'खुश' है, लेकिन यह बिना किसी राजनीतिक बंधन के मिलनी चाहिए।
अमेरिकी दूतावास ने शनिवार को एक बयान में कहा कि 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर का एमसीसी अनुदान अमेरिकी लोगों की ओर से एक उपहार है।