अखिल भारतीय प्रधान संगठन ने दिया अल्टीमेटम: 10 दिन के अंदर अगर मांगे पूरी ना हुईं तो 25 नवम्बर 2021 से पूरे उत्तर प्रदेश में काम बंद करते हुए चलाया जाएगा असहयोग आंदोलन।
यूपी के फतेहपुर जिले के ब्लाक बहुआ में ब्लाक प्रधान संघ अध्यक्ष हेमलता पटेल के नेतृत्व में ग्राम प्रधानों ने प्रदर्शन करते हुए खंड विकास अधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन प्रेषित कर समस्याओं के अतिशीघ्र निवारण किये जाने की पुरजोर मांग की।
सोमवार को अखिल प्रधान संगठन के आह्वान पर राज्य के सभी ब्लाकों में ग्राम प्रधानों द्वारा मुख्यमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन प्रेषण किया जाना सुनिश्चित किया गया जिसके क्रम में ब्लाक बहुआ में भी अध्यक्ष हेमलता पटेल के नेतृत्व में ग्राम प्रधानों ने ज्ञापन प्रेषित किया ज्ञापन में बताया गया की अखिल भारतीय प्रधान संगठन द्वारा रमाबाई अम्बेडकर मैदान लखनऊ में 28 अक्टूबर 2021 को 40000 से अधिक प्रधानों की महारैली के माध्यम से अपनी मांगों को सरकार के समक्ष रखते हुए उस पर क्रियान्वयन हेतु 15 दिन का समय दिया गया था।
परन्तु समयावधि समाप्त होने के बावजूद प्रदेश सरकार द्वारा संगठन की किसी भी मांग पर कोई कार्यवाही नहीं की गई, जिसके कारण मजबूर होकर सोमवार को एक दिन का कार्य बहिष्कार करते हुए प्रदेश के सभी 826 ब्लाकों में खंड विकास अधिकारियों के माध्यम से मुख्यमंत्री को पुनः मांग पत्र सौपा जा रहा है जिसके क्रम में बहुआ ब्लाक से भी ज्ञापन प्रेषित किया जा रहा है। यदि इसके बावजूद भी हमारी मांगो पर समुचित कार्यवाही नहीं की गई तो 25 नवम्बर 2021 से पूरे उत्तर प्रदेश में काम बंद करते हुए असहयोग आंदोलन चलाया जायेगा। जिसका सम्पूर्ण जिम्मेदारी राज्य सरकार की होंगी।
इस दौरान संरक्षक प्रधान बड़ागाँव राम बहादुर,अध्यक्ष हेमलता पटेल,उपाध्यक्ष प्रधान मंजू सुरेंद्र यादव, आडिटर प्रधान पुष्पा देवी, प्रधान शिवबालक, प्रधान शिवप्रसाद, प्रधानभीम सिंह, प्रधान रामराज, राजकुमार, शैलेश कुमार, मुन्ना सिंह, अरविंद, सुमित्रा सिंह, आलिया बानों आदि उपस्थित रहे।
बहुआ ब्लॉक की प्रधान संघ अध्यक्ष हेमलता पटेल ने कहा कि प्रधानों की मांगों पर सरकार लगातार अनदेखी कर रही है। प्रधानों के ऊपर फर्जी मुकदमें दर्ज किए जा रहे हैं। प्रधानों से बिना पूछे भर्तियां की जा रही हैं। अब प्रधान भर्तियों के कर्मचारियों को वेतन देंगे तो विकास किस पैसे से होगा।
संविधान में 73वें संविधान संशोधन में प्रधान को मुख्यमंत्री के समकक्ष अधिकार देने की बात कही गयी है। लेकिन प्रधानों के अधिकारों को लगातार खत्म किया जा रहा है। हमारी मांगों में वित्तीय अधिकार बढ़ाने से लेकर शस्त्र लाइसेंस और कई अन्य प्रमुख हैं। ग्राम पंचायतों के अधिकारों को मजबूत करने के लिए 1992 में 73वां संविधान संशोधन किया गया था।
इसके माध्यम से पंचायतों को अपनी स्वयं की सरकार के अधिकार होने की बात कही गयी थी, जिससे पंचायती राज की त्रिस्तरीय व्यवस्था ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायत को अधिक से अधिक अधिकार मिल सकें।