देश पड़ोसी बेमतलब ना अपनी भौहें तान
जहानाबाद कस्बे के मियांटोला में कवि सम्मेलन व मुशायरा संपन्न हुआ।जहां सरस्वती बनाना के पश्चात गीतों भजनों की धूम रही। शिवम हथगामी की वह पंक्तियां काफी सराही गई जिसमें उन्होंने कहा "कौमी नफरत को मिसाइल से उड़ाने के लिए, हमारे दिल में तो अब्दुल कलाम जिंदा हैं।"
प्रवीण श्रीवास्तव प्रसून ने अपनी रचना में पढा "अंदर दीमक चाटते बाहर बैठा नाग, अब मुश्किल में यह देश है जाग युवा अब जाग" इसी तरह नवीन शुक्ला नवीन ने कहा "हैं पग-पग अहिल्यायें शापित जहां पर नमन दृग से पाहन जलाने चला है"।
सिराज लखनवी ने पढ़ा "बहुतेरों की जाहिलियत से दुखी हूं मैं फिर भी हक परस्ती से न रूका हूं मैं", विजय फतेहपुरी ने कटाक्ष करते हुए कहा "वह प्यार के खजाने को छोड़कर चले अपनी ही सभ्यता से मुंह मोड़कर चले" वही मनोज उन्होंने कहा हमारा प्यारा हिंदुस्तान देश पड़ोसी मतलब ना अपनी भौंहे तान" , सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे भैया जी अवस्थी करुणाकर ने कहा "करुणाकर बने समुन्नत मनु जात धर्म का माथा ग्लानिजा न बने पावे भारत की गौरव गाथा", डॉक्टर ओम प्रकाश पाल ने कहां हम किसी गोरे या गोरी से ना हारे हम जयचंद और जाफरों से हार जाते हैं"। संचालक राजेश बाजपेई भ्रमर ने कहा कि कौन जमाना आए गवा भारत की मर्यादा हया शर्म खाए गवा", वही शिव दत्त तिवारी ने पढ़ा "कटे-फटे लघु वस्त्र हैं अब शोभा की खान इनको धारण कर रहे जो है बहुत महान"।
संयोजिका सईदा खान अक्स ने अपना परिचय देते हुए "कहा छोटा सा है कस्बा मेरा नाम है इसका कोड़ा इसमें एक मोहल्ला भी है जिसका नाम मियां टोला" उत्तम कुमार शोला ने कुछ यूं कहा "किसी एक की बनकर रहो जिंदगी संवर जाएगी वरना सिमट न पाओगी यूं बिखर जाएगी" अरुण द्विवेदी राजनीति पर कटाक्ष करते हुए अपनी रचनाएं पढ़ी वही पत्रकार रवीन्द्र त्रिपाठी ने भी अपनी रचना से श्रोताओं का मन मोह लिया।
मुख्य अतिथि मकसूद खान झुरू बाबा ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।इस मौके पर स्थानीय कवि व संयोजक शाहिदा खान ने कवियों को बैच लगाकर स्वागत किया।