अंग्रेजी अख़बार मिड डे ने सूत्रों के हवाले से ख़बर छापा है कि भारत के सबसे बड़े कार्पोरेट मुकेश अंबानी और उनका परिवार आने वाले समय में लंदन जा सकता है। बता दें कि इसी साल मुकेश अंबानी के द्वारा करीब 592 करोड़ में स्टोक पार्क खरीदने की खबर भी सामने आई थी। अंबानी परिवार ब्रिटेन के बकिंघमशायर स्थित स्टोक पार्क के पास अपना आलीशान घर बनाकर वहां शिफ्ट हो सकता है। या लंदन और मुंबई दोनों जगहों पर रह सकता है।
रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन मुकेश अंबानी का कारोबार पेट्रोकेमिकल्स, तेल व गैस, टेलीकॉम और रिटेल में फैला हुआ है। ब्लूमबर्ग बिलेनियर इंडेक्स के मुताबिक मुकेश अंबानी 9490 करोड़ डॉलर (7.06 लाख करोड़ रुपये) की संपत्ति के मालिक हैं और वह दुनिया भर के अमीरों की सूची में 11वें स्थान पर हैं। अंबानी 100 करोड़ डॉलर नेटवर्थ वाले अमीरों की सूची में शामिल होने से कुछ ही दूर हैं।
एंटेलिया के सामने मिली थी संदिग्ध कार
इसी साल 25 फरवरी, 2021 को मुकेश अंबानी के घर एंटेलिया के बाहर एक लावारिस स्कॉर्पियो में जिलेटिन की छड़ें मिली थीं। स्कॉर्पियो से एक चिट्ठी भी मिली थी। जिसमें लिखा था- ”नीता भाभी और मुकेश भैय्या फैमिली यह एक झलक है। अगली बार यह सामान पूरा होकर आएगा। तुम्हारी पूरी फैमिली को उड़ाने के लिए इंतजाम हो गया है, संभल जाना। Good Night.”
इस केस में स्कॉर्पियो मालिक मनसुख हिरेन की लाश एक सप्ताह बाद संदिग्ध परिस्थितियों में पायी गयी थी। एंटेलिया केस के बाद तत्कालीन मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह और मामले में इंवेस्टिगेशन ऑफिसर नियुक्त किये गये पुलिस अधिकारी सचिन वजे को आरोपित किया गया। एंटेलिया केस के बाद से ही महाराष्ट्र की अघाड़ी सरकार में गृहमंत्री अनिल देशमुख जेल में हैं।
विदेशों में रहने के लिए करना पड़ता है करोड़ों का निवेश
विदेशों में बसने के लिए 2 खास तरीके हैं। किसी देश में बड़ा निवेश करके वहां रहा जा सकता है या कुछ ऐसे देश भी हैं जिनकी बड़ी फीस चुका कर नागरिकता ली जा सकती है। ज्यादातर भारतीय पहले तरीके को अपनाते हैं।
जैसे अमेरिका में बसने के लिए भारतीयों को ग्रीन वीजा लेना पड़ता है। इसके लिए 6.5 करोड़ रुपए का निवेश करना पड़ता है। ब्रिटेन में 18 करोड़ रुपए, न्यूजीलैंड में 10.9 करोड़ रुपए के निवेश करने होते हैं। सेंट कीट्स एंड नेविस और डोमिनिका जैसे कुछ कैरेबियाई देश 72 लाख रुपए तक के निवेश पर नागरिकता दे देते हैं।
भारत में रोज़गार की दर पहले से ही खराब है। ऐसे में अमीरों द्वारा व्यापार को कहीं और ले जाना यहां बेरोज़गारी दर को बढ़ाएगा। इससे भारत में अमीरी-गरीबी का अंतर और बढ़ेगा। अमीर भारी टैक्स से बचने के लिए भी देश छोड़ते हैं। इससे टैक्स कलेक्शन कम होता है और देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान होता है। दूसरी ओर सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग, ब्रिटेन, कोरिया में टैक्स का सिस्टम बहुत साधारण है। इसलिए लोग अपना देश छोड़ इन देशों में बिजनेस जमाने चले जाते हैं।
नरेंद्र मोदी के पहले 5 साल में 29 हजार कार्पोरेट देश छोड़ भागे
5 महीने पहले ग्लोबल वेल्थ माइग्रेशन रिव्यू की एक रिपोर्ट आयी थी। उस रिपोर्ट के मुताबिक भारत के कुल करोड़पतियों में से 2% ने 2020 में देश छोड़ दिया है। हेनली एंड पार्टनर्स की रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में 2019 की तुलना में 63% ज्यादा भारतीयों ने देश छोड़ने के लिए इन्क्वायरी की। हालांकि फ्लाइट बंद होने और लॉकडाउन के चलते कई दस्तावेज संबंधित काम धीमा पड़ने के चलते 2020 में पांच से छह हजार अमीरों ने देश छोड़ा। लेकिन साल 2021 में कोरोना की दूसरी लहर के बाद इन्क्वायरी तेज हो गई। इस साल यानि 2021 में पिछले साल से ज्यादा अमीर देश छोड़ सकते हैं। इससे पहले 2015 से 2019 के बीच 29 हजार से ज्यादा करोड़पतियों ने भारत की नागरिकता छोड़ी थी।
हेनली एंड पार्टनर्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत के लोगों ने कनाडा, पुर्तगाल, ऑस्ट्रिया, माल्टा, तुर्की, USऔर UKमें बसने की सबसे ज्यादा जानकारी जुटाई। इसके लिए अमीर लोग भारत की नागरिकता छोड़ने को तैयार हैं।