2003 में डोलराज गैरे ने अपने शौक और अपनी कमाई को बढ़ाने के लिए भोपाल में साइकिल पर सूप, सैंडविच और बिरयानी बनाकर बेचना शुरू किया था। आज वह शहर के सबसे मशहूर फ़ास्ट फ़ूड कार्नर ‘सागर गैरे’ के मालिक हैं, जिसके शहर में 17 आउटलेट्स मौजूद हैं।
अपनी पढ़ाई के आखरी दो सालों के दौरान भोपाल के मशहूर फास्ट फूड कार्नर ‘सागर गैरे’ में खाई सैंडविच का स्वाद, अब तक मेरे जुबान पर है। जितना लजीज यहां के खाने का स्वाद है, उतनी ही बेहतरीन है इस फ़ास्ट फ़ूड रेस्टोरेंट के सफलता की कहानी भी है। कैसे एक इंसान जिसने शून्य से शुरुआत की और आज उनके हुनर और स्वाद का दीवाना पूरा शहर बन चुका है।
कहते हैं न कि इंसान अगर अपने हुनर की पहचान कर ले और सच्चे मन से मेहनत करे, तो उसे कामयाब होने से कोई नहीं रोक सकता। ऐसा ही कुछ हुआ डोलराज गैरे के साथ भी। 2003 में उन्होंने सूप बेचने से फ़ूड इंडस्ट्री में काम करने की शुरुआत की थी। उस समय न उनके पास कोई दुकान थी न ज्यादा पूंजी।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए डोलराज कहते हैं, “खाना बनाना मेरी हॉबी है, ऑफिस के बाद मिले खाली समय का उपयोग करने के लिए मैं घर से सूप, बिरयानी और सैंडविच बनाकर साइकिल में ले जाकर बेचा करता था। रिश्तेदारों ने मज़ाक भी उड़ाया लेकिन भोपाल के लोगों को मेरे हाथ का स्वाद पसंद आया। इसी प्यार की बदौलत आज मैं यहां तक पहुंचा हूं।”
नौकरी के साथ शुरू किया बिज़नेस
डोलराज गैरे
मूल रूप से नेपाल के रहने वाले डोलराज, वैसे तो किसान के बेटे हैं। उनके कई रिश्तेदार भारत में भी रहते थे, 1980 में वह घूमने और कुछ काम की तलाश में भारत में आए थे। आठवीं तक पढ़े डोलराज ने शुरुआत में दिल्ली में काम किया। बाद में उनकी मध्य प्रदेश टूरिज्म में सरकारी नौकरी भी लगी। घरवालों को लगा कि अब वह सेट हो गए हैं। लेकिन डोलराज को तो कुछ और ही करना था। इसलिए रिश्तेदारों की परवाह और किसी तरह की शर्म किए बिना, उन्होंने अपने काम की शुरुआत की। उस दौरान वह नौकरी से करीबन 3 बजे फ्री हो जाते थे। उन्होंने सोचा क्यों न समय का सही उपयोग किया जाए।
उन्होंने 2003 से साइकिल पर एक टंकी बांधकर सूप बेचना शुरू किया। डोलराज का सूप लोगों को इतना पसंद आने लगा कि वह ‘साइकिल सूपवाले’ के नाम से शहर भर में मशहूर हो गए। लेकिन इस नाम को कमाने में उनको कड़ी मेहनत करनी पड़ी।
तकरीबन एक साल बाद ही उन्होंने नौकरी छोड़ दी और एक छोटी सी गुमटी भाड़े पर ली। वहीं अपनी पहली दुकान खरीदने में उन्हें पांच साल लग गए। सबसे पहली दुकान उन्होंने भोपाल 10 नंबर मार्केट में लोन लेकर खरीदी थी। 160 स्क्वायर फ़ीट की इस दुकान के साथ इनकी तरक्की की भी शुरुआत हुई। आज उस छोटी से दुकान में 16 लोग काम करते हैं।
एक जैसे स्वाद का राज
भोपाल के इस फ़ास्ट फ़ूड रेस्टोरेंट के मेनू में यूं तो आपको हर तरह का खाना मिल जाएगा। लेकिन यहां का सैंडविच और सूप लोगों को सबसे ज्यादा पसंद आता है। डोलराज बताते हैं, “हम हर एक डिश में अपना खुद का मसाला ही इस्तेमाल करते हैं। फिर चाहे वह सैंडविच के लिए मायोनीज़ हो या छोले का मसाला। यही कारण है कि लोगों को हमारे यहां मिलने वाला स्वाद और कहीं नहीं मिलता।”
सागर गैरे सैंडविच और सूप
इसके अलावा वह सफाई और गुणवत्ता का भी विशेष ध्यान रखते हैं। दो साल पहले ही उन्होंने ‘सागर गैरे’ को एक कंपनी तौर पर रजिस्टर कराया। जिसके बाद इसके कई फ्रैंचाइज भी खुल गए हैं। भोपाल में इसके 17 आउटलेट्स हैं, जहां वह समय-समय देख-रेख के लिए जाते रहते हैं। सभी आउटलेट्स के लिए मसाला आदि एक ही जगह से भेजे जाते हैं। भोपाल के अलावा जल्द ही छतरपुर, सागर और इंदौर में भी इनके एक-एक आउटलेट खुलने वाले हैं।
विदेशी बर्गर को टक्कर देने की तैयारी
उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश के साथ ही लखनऊ और मुंबई में भी ‘सागर गैरे’ के फ्रैंचाइज खोलने पर विचार चल रहा है। फ़िलहाल उनका बेटा सागर अपने पिता के साथ मिलकर इस ब्रांड को देश भर में फैलाने पर काम कर रहा है। डोलराज कहते हैं, “विदेशी बर्गर ब्रांड के आउटलेट्स जब भारत के हर एक शहर में हो सकते हैं, तो हम क्यों नहीं? हालांकि ज्यादा प्रॉफिट कमाना कभी भी हमारा सिद्धांत नहीं रहा है बल्कि हम अपना स्वाद ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।”
अपने पुराने दिनों को याद करते हुए वह कहते हैं, “मैं उन दिनों को बहुत याद करता हूं जब मैं खुद अपने हाथों से सैंडविच बनाकर लोगों को दिया करता था। वही मेरे लिए सच्चा आनंद था।”
डोलराज गैरे की मेहनत और उनका खुद के ऊपर विश्वास ही सही मायने में उनकी सफलता का कारण है। हालांकि उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन उनके स्वाद की तारीफ शहरभर में होगी।
तो अगली बार जब भी आप भोपाल जाएं तो सागर गैरे जाना न भूलें।
संपादन- जी एन झा