अफगानिस्तान में तालिबानी हुकुमत कायम हो चुकी है। इस बीच, भारत में कई विपक्षी दलों के नेताओं ने तालिबान का समर्थन किया है।
इनमें से जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने शनिवार को तालिबान का समर्थन करते हुए केंद्र सरकार को सलाह दी है। कि अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार से चर्चा की जाए। अफगानिस्तान में भारत के भारी निवेश का हवाला देते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि तालिबान अब वहां सत्ता में है तो उनसे बात करनी चाहिए।
उन्होंने यह भी पूछा कि तालिबान से रिश्ता रखने में नुकसान ही क्या है? फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि तालिबान अब अफगानिस्तान की सत्ता में है। अफगानिस्तान में पुरानी सत्ता के दौरान भारत ने अलग-अलग परियोजनाओं में अरबों खर्च किए। हमें अफगानिस्तान की मौजूदा सत्ता से बात करनी चाहिए। जब हमने इस देश में इतना निवेश किया है तो उनसे रिश्ता रखने में क्या नुकसान है? आपको बता दें कि पिछले महीने अफगानिस्तान के काबुल पर कब्जे के साथ ही तालिबान ने अपनी सरकार वहां बना ली है और वहां के कैबिनेट में बड़े आतंकियों को जगह दी गई है।
इन सबको देखते हुए भारत ने अभी तालिबान सरकार पर कोई भी कदम न उठाते हुए उनसे दूरी बना रखी है। क्योंकि तालिबान के इतिहास को देखते हुए भारत सरकार बेहद सोच विचार करके ही आगे बढ़ेगी। इसलिए फिलहाल वह उनकी नीतियों को देख रही है। तालिबान ने इमरान को बताया कठपुतली तालिबान के निजाम ने आज पाकिस्तान के पीएम इमरान खान को कठपुतली बताया है।
तालिबान नेता जनरल मुबीन ने कहा है कि इमरान खान को पाकिस्तान के लोगों ने नहीं चुना है। पाकिस्तान में इमरान खान को लोग कठपुतली कहते हैं। उन्होंने पाकिस्तान को धमकी देते हुए कहा है कि हम ये हक किसी को नहीं देते कि कोई हमारे शासन में हस्तक्षेप करे और अगर कोई ऐसा करता है तो हम भी हस्तक्षेप का हक रखते हैं। मुबीन ने इमरान खान को अफगानिस्तान के मामलों से दूर रहने की सलाह दी है।