काबुल एयरपोर्ट पर भले ही अमेरिकी और नाटो सेना का कब्जा हो, लेकिन उसके बाहर तालिबान की हुकूमत ही चल रही है। रविवार को भी अफगानिस्तान से किसी तरह बाहर निकलने को व्याकुल लोगों पर तालिबान का कहर टूटा। स्थिति नियंत्रण करने के नाम पर कागजात जांचने की प्रक्रिया देख लोगों में अफता-तफरी मच गई। इस कारण मची भगदड़ में सात लोगों के मारे जाने की खबर है। ब्रिटिश सेना ने एक बयान जारी कर इस हादसे की पुष्टि की है। हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स यह भी कह रही हैं कि तालिबान की हवाई गोलीबारी से भगदड़ के हालात पैदा हुए।
काबुल एय़रपोर्ट पर बिगड़ रहे हैं हालात
हालांकि ब्रिटिश सेना की ओर से जारी बयान में कहा गया, 'स्थितियां बेहद चुनौतीपूर्ण हैं, लेकिन हम यथासंभव सुरक्षित तरीके से स्थितियां को संभालने के हर संभव प्रयास कर रहे हैं।' गौरतलब है कि शनिवार को भी काबुल मीडिया ने कहा था कि तालिबान ने कुछ भारतीयों समेत लगभग 150 लोगों को अगवा कर लिया था। हालांकि तालिबान ने इससे सिरे से इंकार करते हुए कहा था कि लोगों के पासपोर्ट और अन्य कागजात की जांच के लिए लोगों को एक जगह इक्ट्ठा किया गया था। गौरतलब है कि तालिबान राज के बाद काबुल एय़रपोर्ट पर देश छोड़ने की आस लिए हजारों की भीड़ एकत्र है। रविवार को सीरिया के आतंकी संगठन आईएसआईएस के आतंकियों के काबुल एय़रपोर्ट पर हमले की अफवाह से भी एयरपोर्ट में जमा भीड़ में दहशत देखी गई। माना जा रहा है कि तालिबान के लड़ाकों की हवाई गोलीबारी को उन्होंने हमला समझा हो और भगदड़ मची हो।
एयरफील्ड तक भीड़ का सैलाब
काबुल में अफरा-तफरी का आलम यह है कि अमेरिकी विमान के बाहर लटकर अफगानिस्तान छोड़ने की फिराक में कम से कम तीन लोगों को ऊंचाई से गिर कर अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। इनमें एक अफगानी फुटबॉलर भी था। विगत सोमवार को तो स्थिति इतनी दारुण थी अमेरिका के लड़ाकू हेलीकॉप्टर को एयरफील्ड पर जमा हजारों की भीड़ को हटाने के लिए नीचे उड़ान भरनी पड़ी थी। इसके बाद भारत को भी अपनी फ्लाइट्स रद्द करनी पड़ी थी। बाद में अमेरिकी सेना ने रन-वे साफ कराया तो भारतीय वायु सेना की सी-17 विमान भारतीय दूतावास के अधिकारी-कर्मचारियों को लेकर भारत के लिए उड़ान भर सका था।