उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के आगामी चुनाव से पहले हर दल ने कमर कसनी शुरू कर दी है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता के पास जाने से पहले खुद जनता से ही फीडबैक लेना शुरू कर दिया है, ताकि हर राज्य ही नहीं वहां के लोकप्रिय नेताओं, वहां की समस्या, स्थानीय विधायक, केंद्र सरकार की योजनाओं को लेकर संतोष व असंतोष तक हर मुद्दे पर जमीनी और बेबाक जानकारी मिल सके। जाहिर है कि ये फीडबैक चुनावी अभियान के मुद्दे से लेकर उम्मीदवार और भावी मुख्यमंत्री तक के बारे में राय बनाने में मदद करेंगे।
जनता से सीधे संपर्क के अलग-अलग माध्यमों को लेकर हमेशा सक्रिय रहे पीएम मोदी के नमो एप पर एक नया फीचर जोड़ा गया है। जिसके जरिए उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा के बारे में लोगों की राय जानी जा सकेगी। इसमें कोविड से निपटने के लिए प्रबंधन से लेकर शिक्षा, रोजगार, महंगाई, भ्रष्टाचार, किसान कल्याण जैसे मुद्दे शामिल हैं। जनता के लिए यह विकल्प है कि वह इन मुद्दों पर केंद्र सरकार, राज्य सरकार या स्थानीय प्रशासन के बारे में राय दे सकती है। जाहिर तौर पर यह सर्वे बताएगा कि किसी बात पर नाराजगी है तो किस स्तर पर। इसे बहुत खराब से लेकर अतिउत्तम तक के मापदंड पर अंक दिया जा सकता है।
विपक्षी एकता के बारे में भी पूछा गया सवाल
सर्वे यहीं नहीं रुक रहा है, बल्कि यह भी पूछता है कि क्या विपक्षी एकता का उनके विधानसभा क्षेत्र पर कोई फर्क पड़ेगा? क्या वह मानते हैं कि केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी की सरकार रहने से विकास में सहायता होती है? क्या भविष्य में वह अपने राज्य के विकास को लेकर आशावान है? भाजपा में जनता की नाराजगी दूर करने के लिए बड़ी संख्या में ऐसे विधायकों का टिकट काटने की परंपरा रही है।