कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के जम्मू-कश्मीर यात्रा का मंगलवार को दूसरा दिन रहा। पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जा समाप्त करने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद से यह उनकी पहली यात्रा है। यहां उन्होंने पूर्ण राज्य का दर्जा देने के साथ-साथ चुनाव कराने की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने जम्मू-कश्मीर के निवासियों के लिए भूमि और रोजगार के अधिकारों की वकालत की। उन्होंने विपक्षी नेताओं को नजरबंद करने के लिए सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि जब भी हम जम्मू-कश्मीर या पेगासस के मुद्दे को उठाना चाहते हैं तो उनकी आवाज को दबाया जाता है। उन्होंने लोगों को जम्मू-कश्मीर पर सीधे हमले और देश के बाकी हिस्सों पर अप्रत्यक्ष हमले की चेतावनी दी। राहुल ने कहा कि भारत में हर संस्थान पर हमले हो रहे हैं। न्यायपालिका पर हमले हो रहे हैं। मीडिया सच्चाई नहीं दिखा रहा है। उन्हें दबाया जा रहा है। धमकी दी जा रही है। वे डरे हुए हैं। अगर वे तथ्यों की रिपोर्ट करते हैं तो उन्हें नौकरी खोने का डर है।
राहुल ने कहा कि उनकी यात्रा का आज दूसरा और अंतिम दिन है। उनके लिए यह एक तरह की घर वापसी थी। राहुल गांधी ने आगे कहा कि मैं जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ सम्मान और प्यार का रिश्ता चाहता हूं, जिन्होंने दर्द और पीड़ा का सामना किया है। दिल्ली से पहले मेरा परिवार इलाहाबाद में रह रहा था। इससे पहले वे कश्मीर में रह रहे थे। कांग्रेस सांसद ने आगे कहा कि मैं आपको समझता हूं। मेरे परिवार ने झेलम का पानी पीया है। मैं भी कश्मीरी पंडित हूं । आपके रीति-रिवाज और आपकी सोच... जिसे हम कश्मीरियत कहते हैं... मुझमें भी है। उन्होंने कहा कि आप (कांग्रेस कार्यकर्ताओं और जम्मू-कश्मीर के लोगों) को मेरा संदेश यह है कि मैं आपके लिए सम्मान और प्यार लाया हूं। यह नया कार्यालय एक नई शुरुआत है।