सुप्रीम कोर्ट ने कथित पेगासस जासूसी मामले की स्वतंत्र जांच के अनुरोध वाली याचिकाओं पर गुरुवार को सुनवाई शुरू करते हुए कहा कि अगर इसके बारे में रिपोर्टें सही हैं तो जासूसी के आरोप गंभीर हैं। प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने शुरू में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और वरिष्ठ पत्रकार एन राम और शशि कुमार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से कुछ तीखे सवाल पूछे।
सीजेआई ने कहा, ‘इस सब में जाने से पहले, हमारे कुछ प्रश्न हैं। इसमें कोई शक नहीं, अगर रिपोर्ट सही है तो आरोप गंभीर हैं।’ उन्होंने यह कहते हुए देरी का मुद्दा उठाया कि मामला 2019 में सामने आया था।
सीजेआई ने कहा, ‘जासूसी की रिपोर्ट 2019 में सामने आई थी। मुझे नहीं पता कि क्या अधिक जानकारी हासिल करने के लिए कोई प्रयास किए गए थे।’ उन्होंने कहा कि वह यह नहीं कहना चाहते थे कि यह एक बाधा थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह हर मामले के तथ्यों में नहीं जा रही है और अगर कुछ लोगों का दावा है कि उनके फोन को इंटरसेप्ट किया गया था तो टेलिग्राफ कानून है जिसके तहत शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को हम नोटिस नहीं जारी कर सकते क्योंकि प्रतिवादी करने संबंधी आपकी याचिका में त्रुटि है। न्यायाधीश ने कहा कि अखबारों की कतरन के अलावा आपके पास सबूत क्या है? अपनी-अपनी अर्जियों की कॉपी केंद्र सरकार को भेजें। इस केस की अगली सुनवाई मंगलवार को होगी।