प्रदेश में आए दिन होने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादलों पर आपत्ति जताते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे को पत्र लिखकर अधिकारियों और कर्मचारियों के लगातार हो रहे तबादलों पर रोक लगाने की मांग की है। पत्र में पाटिल ने कहा है कि कोरोना की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादलों को रोकना चाहिए। पाटिल ने इसे कानून का उल्लंघन बताते हुए कहा कि ऐसी गंभीर परिस्थिति में जो अधिकारी और कर्मचारी जहां कार्यरत हैं, उसे वहीं रहने देना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने सरकारी कर्मचारियों के स्थानांतरण की सीमा को बढ़ाकर 25 प्रतिशत किया है। इसके साथ ही किसी विशेष कारण से 10 प्रतिशत स्थानांतरण को अनुमति दी गई है। इस तरह से कुल संख्या के 35 प्रतिशत कर्मचारियों के स्थानांतरण की अनुमति दी गई है। वरिष्ठ समाजसेवक अण्णा हजारे के आंदोलन के कारण सन् 2005 में राज्य में स्थानांतरण का कानून बना है, जिसमें कुल संख्या के 30 प्रतिशत से अधिक कर्मचारियों के स्थानांतरण करने पर कानूनी रूप से प्रतिबंध लग गया है। इसके बावजूद 35 प्रतिशत स्थानांतरण की अनुमति देना, कानून का उल्लंघन हुआ है। वर्तमान सरकार के समय में स्थानांतरण के बाजार बनने की शिकायतें सामने आ रही हैं। राज्य सरकार के अनुसार राज्य में कोरोना की स्थिति अभी भी गंभीर है। सरकारी अधिकारी व कर्मचारियों के बड़े पैमाने पर तबादला होने से कोरोना विरोधी कामों पर प्रतिकूल परिणाम होगा। ऐसे समय में सरकारी तंत्र में बड़े स्तर पर तबादला करने से आपदाग्रस्त लोगों के लिए और नुकसानदायक होगा।