मौत पर मुआवजा दे सरकार

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि कोरोना से मौत होने पर परिजन मुआवजे के हकदार हैं। सरकार उन्हें मुआवजा दे। मुआवजे की रकम कितनी होगी, ये सरकार तय करे। कोर्ट ने नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (NDMA) पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि वह मुआवजा दिए जाने की गाइडलाइन तय करे।

दो अहम टिप्पणियां

NDMA पर: आपका कर्तव्य है कि आप राहत के न्यूनतम पैमाने बताएं। ऐसा कुछ भी रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है जिससे पता चले कि कोविड पीड़ितों के लिए आपने ऐसी राहत या मुआवजे की कोई गाइडलाइन जारी की हो। आप अपना वैधानिक कर्तव्य निभाने में विफल रहे हैं।

केंद्र पर: किसी भी देश के पास अपार संसाधन नहीं होते। मुआवजे जैसी चीज हालात और तथ्यों पर आधारित होती है। ऐसे में ये सही नहीं है कि हम केंद्र को निर्देश दें कि मुआवजे के लिए इतनी रकम तय कर दी जाए। ये रकम केंद्र को ही तय करनी होगी। आखिरकार प्राथमिकताएं केंद्र ही तय करता है। 

कोर्ट ने कहा कि केंद्र मुआवजा राशि तक कर छह हफ्तों के भीतर राज्य सरकारों को निर्देश दे। साथ ही केंद्र को निर्देश दिया कि मृत्यु प्रमाण पत्र पाने की प्रक्रिया को भी सरल किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह कोविड से जुड़े मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करे, जो प्रमाण पत्र पहले ही जारी हो गए हैं, उनमें सुधार किया जाए।  

इससे पहले केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा था कि कोविड-19 के पीड़ितों को चार-चार लाख रुपये का मुआवजा नहीं दिया जा सकता है क्योंकि आपदा प्रबंधन कानून में केवल भूकंप, बाढ़ आदि प्राकृतिक आपदाओं पर ही मुआवजे का प्रावधान है। सरकार ने आगे कहा कि अगर एक बीमारी से होने वाली मौत पर मुआवजे की राशि दी जाए और दूसरी पर नहीं तो यह पूरी तरह से गलत होगा। 

चार लाख मुआवजे की अपील

जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने गौरव बंसल बनाम केंद्र सरकार और दीपक कंसल बनाम केंद्र सरकार केस में ये फैसला सुनाया है। याचिकाकर्ता ने कहा था कि कोरोना संक्रमण और संक्रमण के बाद तबीयत खराब होने से जान गंवाने वाले परिवारों को 4 लाख रुपए मुआवजा दिया जाए। 

प्रकाशित तारीख : 2021-07-01 07:22:00

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