'वन नेशन-वन राशन कार्ड' को लेकर देश की सर्वोच्च अदालत ने पश्चिम बंगाल सरकार को सख्त निर्देश दिये हैं। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य की ममता बनर्जी सरकार को आदेश देते हुए कहा है कि 'कोई बहाना नहीं, तुरंत लागू करें वन नेशन-वन राशन कार्ड।' अदालत ने यह भी कहा है कि आप एक या अन्य समस्या का हवाला नहीं दे सकते हैं। यह प्रवासी मजदूरों के लिए है।
इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों द्वारा उठाए गए समस्याओं पर अपने फैसले को सुरक्षित रखा है। दरअसल, लॉकडाउन के दौरान असंगठित मजदूरों को रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में दिक्कत आई थी। रजिस्ट्रेशन होने के बाद ही मजदूर सरकारों द्वारा चलाई जा रही लाभकारी स्कीमों का फायदा उठा सकते थे। इसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला फिलहाल सुरक्षित रखा है।
बता दें कि इससे पहले पश्चिम बंगाल सरकार ने 'वन नेशन-वन राशन कार्ड' योजना से राज्य को बाहर रखने की बात कही थी। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार को इसे तुरंत लागू करने का निर्देश दिया है। 'एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड' योजना को लेकर केंद्र सरकार का तर्क रहा है कि इस योजना के तहत पूरे देश में पीडीएस धारकों को देश के किसी भी कोने में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों से उनके हिस्से का राशन मिल सकेगा। सरकार का कहना है कि इसके बाद नौकरी या अन्य वजहों से एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने वाले लोग सब्सिडी वाले राशन से वंचित नहीं होंगे।
हाल ही में केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के बीच 'घर घर राशन योजना' को लेकर चल रहे विवाद के बीच केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार को 'वन नेशन-वन राशन कार्ड' योजना तुरंत लागू करने के लिए कहा था। केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय ने कुछ दिनों पहले दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कहा था कि इस योजना को अविलंब लागू करें, जिससे दिल्ली के कम से कम दस लाख आप्रवासी श्रमिकों को इसका तुरंत लाभ मिल सके। बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा था कि वह जनकल्याणकारी नीतियों के मसले पर मूकदर्शक नहीं रहेगा। नीतियों की न्यायिक समीक्षा उसका कर्तव्य है। बता दें कि अब तक आंध्र प्रदेश, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, पंजाब और ओडिशा समेत कई राज्यों ने 'वन नेशन-वन राशन कार्ड' योजना को लागू किया है।