उपभोक्ताओं ने इण्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर कम्पनियों पर लगाया ठगाही का आरोप
डिजिटल युग में लोगों की रोजमर्रा की जिन्दगी में इण्टरनेट का अहम किरदार साबित हुआ, बैंक खाते से लेन-देन हो, आय-जाति-निवास प्रमाण-पत्र हो, सरकारी नौकरी के फार्म हो, टिकट बुकिंग हो, बिजली बिल की अदायगी हो या फिर छात्रों की पढ़ाई। सभी क्षेत्रों में इण्टरनेट का उपयोग आम सी बात हो गयी है। जिसके चलते अनेक सेवाएं बिना इण्टरनेट के सम्भव नहीं रह गये हैं। जिले में बीएसएनएल, जियो, एयरटेल, वोडाफोन जैसी दिग्गज कम्पनियों के लाखों उपभोक्ता है यह कम्पनियां विभिन्न प्लानों के जरिये अपने उपभोक्ताओं को इण्टरनेट सर्विस प्रोवाइड कराती हैं।
जनपद में कभी बीएसएनएल के सबसे ज़्यादा उपभोक्ता थे लेकिन विभागीय अधिकारियों के लालफीताशाही के चलते सैकड़ों उपभोक्ताओं ने कनेक्शन कटा कर निजी कम्पनियों के कनेक्शन ले लिये जिसके चलते बीएसएनएल को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
इण्टरनेंट की सुविधाओं पर नजर डाले तो बैंकों में आये दिन सर्वर का डाउन हो जाना आम सी बात हो गयी है जिससे उपभोक्ताओं खासी दिक्कत का सामना करना पड़ता है।बीएसएनएल द्वारा अच्छी इण्टरनेट सेवा उपलब्ध न कराने के कारण लोगों ने जियो, एयरटेल और वोडाफोन जैसी निजी कम्पनियों के कनेक्शन लिए लेकिन निजी कम्पनियां उपभोक्ताओं को बेहतर सुविधाएं दिए जाने में फिसड्डी साबित हुई। इससे सैकड़ों उपभोक्ताओं में नाराजगी है। उपभोक्ताओं का कहना है कि कम्पनियों के द्वारा मांगे गये मूल्य का एडवांस भुगतान करते हैं।
जियो सिम का उपयोग करने वाले उपभोक्ता शरद कुमार ने कहा कि जियो कम्पनी हमारे साथ धोखा-धड़ी कर रही जब कम्पनी अपनी मर्जी का रूपये लेती है तो अच्छी इण्टरनेट सर्विस उपलब्ध क्यों नहीं कराती है जियो का इण्टरनेट हमेशा स्लो स्पीड ही रहता है कभी-कभी तो नेटवर्क ही गायब हो जाता है। लोकवाणी केन्द्र संचालक सौम्या गुप्ता ने बताया कि स्लो स्पीड के चलते एयरटेल, वोडाफोन और जियो के कनेक्शन ले रखे है तब भी उन्हें खराब इण्टरनेट स्पीड का सामना करना पड़ता है वहीं पांच मिनट के काम के लि घण्टों इन्तजार करना पड़ता है। जिससे मानसिक उलझन होती है, ग्राहकों से तकरार की भी नौबत आ जाती है और इण्टरनेट सर्विस प्राप्त करने के लिए अधिक रूपया खर्च करना पड़ता है।
वोडाफोन उपभोक्ता शैलेन्द्र त्रिपाठी ने बताया कि इण्टरनेट की स्पीड को लेकर अक्सर परेशानी उठानी पड़ती है। जिससे बिजली भुगतान में देरी होने के कारण लेट फीस देनी पड़ जाती है। उन्होनें कहा कि कम्पनियां जानबूझकर ऐसा करती हैं ताकि भारी मुनाफा लिया जा सके कहा कि सरकार को इण्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर कम्पनियों से सख्ती से निपटना चाहिए क्योंकि वह ऐसा करके उपभोक्ता का भारी आर्थिक और मानसिक शोषण करते हुए उपभोक्ताओं से ठगाही कर रही हैं। एयरटेल और जियो के उपभोक्ता विजय कुमार ने बताया कि एनजीओ रजिस्ट्रेशन में फीस का आनलाइन ट्रांजेक्शन करते समय अचानक सर्वर डाउन हो जाने से उन्हें दोबारा 1500 रूपये फीस जमा करनी पड़ी, कहा कि आनलाइन ट्रांजेक्शन करते समय अचानक सर्वर डाउन होने से रूपये का जोखिम उठाना पड़ता है।
वहीं बीएसएनएल के मुख्य अभियन्ता ने कहा कि विभाग जनपद में बीएसएनएल फाइबर लान्च करने जा रही है जिसके लिए टेण्डर किये जा चुके हैं। उन्होंने कहाकि मार्च तक लोगों को इसके कनेक्शन दिये जाएंगे जिससे इण्टरनेट की स्पीड की समस्या का काफी हद तक निवारण हो जायेगा। जनपद में बकेवर क्षेत्र बीएसएनएल से लेकर निजी कंपनी जियो,एअरटेल, वोडाफोन अपने उपभोक्ताओं को सुविधाएं दिए जाने में नाकाम साबित हुई। यहां मोबाइल में अक्सर नेटवर्क गायब रहना या इण्टर नेट की स्पीड स्लो होना आम बात सी हो गई है। मोबाइल लोगों के हाथों का खिलौना बन चुके। जब उपभोक्ता कंपनियों से समस्या बताते तो तकनीकी खामी का हवाला देकर पल्ला झाड़ लिया जाता। उपभोक्ताओं का आरोप है कि कंपनियां उनकी शिकायत तक दर्ज नहीं करती।