राकांपा प्रमुख शरद पवार की तरफ से गृहमंत्री अनिल देशमुख को क्लीन चिट दिए जाने के बाद भाजपा आक्रामक हो गई है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि हम देशमुख का इस्तीफा लेकर रहेंगे। वहीं विधान परिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण दरेकर अनिल देशमुख को उनके पद से हटाने की मांग को लेकर राजभवन पहुंचे। पाटिल ने कहा कि हम सड़क पर लड़ाई लड़कर देशमुख का इस्तीफा लेकर रहेंगे। सोमवार को पुणे में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि परमबीर सिंह का कहना है कि उन्होंने देशमुख की बातों से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अवगत कराया था, इसलिए इस मामले में मुख्यमंत्री भी भागीदार हैं।
मुख्यमंत्री को भी इस्तीफा देना चाहिए। पाटिल ने कहा कि प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश करने का अधिकार राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी का है। शायद वह केंद्र सरकार को रिपोर्ट लिखते होंगे। राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ चुकी है। हमारी मांग है कि राज्यपाल को इसका संज्ञान लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को रिपोर्ट भेजें। पाटिल ने कहा कि प्रदेश भाजपा के शीर्ष नेताओं में से किसी ने नहीं कहा कि महाविकास आघाड़ी सरकार गिरेगी। लेकिन जो घटना घटी है, वह बुरी है तो उसको बुरा भी नहीं कहें क्या? पाटिल ने कहा कि राकांपा अपनी सहयोगी शिवसेना को कमजोर करके एक-एक आदमी की छुट्टी कर रही है। उन्होंने कहा कि निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वझे शिवसेना के करीब थे तो उन्हें निलंबित कर दिया गया। शिवसेना के वन मंत्री रहे संजय राठौड का इस्तीफा ले लिया गया, लेकिन राकांपा सामाजिक न्याय मंत्री धनंजय मुंडे और गृह मंत्री देशमुख को इस्तीफा देने के लिए नहीं कहा।
परमबीर सिंह कोर्ट जाने को क्यों हुए मजबूर?
पाटिल ने आरोप लगाया कि पूरे एपिसोड की शुरुआत से ही पवार और उनकी पार्टी के नेता लोगों के दिमाग में संदेह पैदा करने की कोशिश कर रहे थे। पहले तो उन्होंने परमबीर सिंह द्वारा लिखे गए पत्र की वास्तविकता पर ही सवाल उठाए, क्योंकि उस पर कोई हस्ताक्षर नहीं थे। फिर उसके बाद कहा कि परमबीर सिंह की देशमुख से मुलाकात हुई और अन्य बातें कहीं लेकिन अनिल देशमुख द्वारा पैसे वसूली की बात नहीं की, उसके बाद यह कहा गया कि परमबीर सिंह पर केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा दवाब बनाया जा रहा है, फिर कहा कि जब अनिल देशमुख को सचिन वझे से मिलना था तो वे अस्पताल में थे। लेकिन सिंह द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन फाइल करने के बाद इन सभी दावों की पोल खुल गई है। यदि परमबीर सिंह ने पत्र नहीं लिखा है तो वे सुप्रीम कोर्ट क्यों जाएंगे? शरद पवार को इस पर महाराष्ट्र की जनता को जवाब देना चाहिए।