मीठी नदी को पर्यटन स्थल बनाने के लिए पिछले 15 सालों से नदी की साफ-सफाई और चौड़ा करने का काम किया जा रहा है। इसके बावजूद मीठी नदी जस की तस बनी हुई है। मनपा ने अब मीठी नदी की सफाई के लिए विदेशी मशीनों का सहारा लिया है। गहरे पानी में उतर कर सफाई करने के लिए नीदरलैंड और स्वीडन से मशीनें लाई गई है। देखना होगा कि मानसून में मीठी नदी का प्रकोप इन मशीनों से कम होता है कि नहीं। बता दें कि मीठी नदी की साफ-सफाई, चौड़ाई और गहराई के लिए वर्ष 2005 से काम शुरू किया गया है। पंद्रह साल बीत जाने के बावजूद मीठी नदी अभी भी जस की तस बनी हुई है। हर साल मानसून में मीठी नदी के कारण कुर्ला इलाके में पानी भरता है। पिछले कुछ सालों से तो बांद्रा के कुछ इलाकों में बाढ़ की नौबत होने लगी है। पिछले साल की बारिश में बांद्रा का कला नगर भी डूब गया था।
मशीन से होगी शील्ट की निकासी
मनपा ने अब मीठी नदी की सफाई के लिए नीदरलैंड और स्वीडेन से मशीन मंगाई है जो कि गहरे पानी में जाकर सफाई करेगी। आरे कॉलनी कुर्ला और बांद्रा परिसर से होते हुए माहिम की खाड़ी से जुड़ी हुई मीठी नदी की कुल लंबाई 17.80 किमी है। मनपा ने मीठी नदी की सफाई करने का 80 करोड़ का ठेका दिया हुआ है। पिछले साल के मुकाबले इस साल दोगुना राशि का ठेका दिया गया है। मनपा ने दावा किया है कि अब तक छह प्रतिशत मीठी नदी कि सफाई हो चुकी है। मानसून आने तक 70 प्रतिशत सफाई पूरी हो जाएगी। अब देखना होगा कि मानसून में इस साल कुर्ला और क्लानागर में पानी भरता है कि नही।