मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) ने बंबई उच्च न्यायालय को शुक्रवार को सूचित किया कि कांजुरमार्ग पर मेट्रो कार शेड बनाने का फैसला विशेषज्ञों द्वारा विस्तृत अध्ययन एवं आवश्यक विचार विमर्श के बाद लिया गया है। एमएमआरडी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दारियस खम्बाटा ने मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुल
अपनी दलील देते हुए खम्बाटा ने अदालत में कहा कि राज्य सरकार ने कारशेड निर्माण के लिए जो स्थान चुना है उस पर केंद्र सरकार द्वारा आपत्ति जताने की कोई वजह नहीं है। विशेषज्ञ समिति ने विस्तृत अध्ययन करने के बाद नए भूखंड के चयन के लिए आवश्यक विचार विमर्श भी किया है। कारशेड और उससे जुड़ी अन्य गतिविधियों के लिए कांजुरमार्ग का भूखंड ज्यादा बेहतर है। उन्होंने बताया कि आरे कॉलोनी वाला भूखंड छोटा था और उस पर केवल एक मेट्रो लाइन के लिए कारशेड बनाया जा सकता था, लेकिन कांजुरमार्ग पर तीन से चार मेट्रो लाइन के लिए कारशेड बनाया जा सकता है।भारत सरकार को इस बात की चिंता क्यों है कि हम कारशेड कहां बना रहे हैं ?गौरतलब हो कि केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष याचिका दायर कर कारशेड निर्माण के लिए कांजुरमार्ग वाली भूमि के आवंटन पर आपत्ति जताई थी और कहा था कि वह भूमि उसके विभाग की है, खम्बाटा इसी याचिका पर जवाब दे रहे थे।