इनके पीछे बड़े लोगों का हाथ : फड़नवीस

मुकेश अंबानी के घर के बाहर मिली विस्फोटक कार प्रकरण में पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह की बदली के बाद नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फड़नवीस ने प्रेस कॉनफ्रेंस करके कई सवाल उठाए और कहा कि इतना भर काफी नहीं है। सचिन वझे और परमबीर सिंह तो छोटे लोग हैं, इनके पीछे जो बड़ा राजनीतिक हाथ है, उनका चेहरा सामने आना चाहिए। परमबीर को सचिन वझे रिपोर्ट करते थे। उन्हें तो जिम्मेदारी लेनी ही पड़ेगी, लेकिन इतने से काम नहीं चलेगा। इन दोनों के पॉलिटिकल बॉस को सामने लाना पड़ेगा। उन्होंने सवाल उठाया कि एपीआई सचिन वझे को नौकरी में वापस क्यों लिया गया। 2004 में वो सस्पेंड हुए 2007 में उन्होंने वीआरएस लिया। वीआरएस स्वीकार नहीं किया गया, क्योंकि जांच चल रही थी। जब मेरे पास 2018 में उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी के नेताओं की तरफ से सुझाव आया कि सचिन वझे को वापस सेवा में लिया जाए। मैंने उनका पिछला रिकॉर्ड देखते हुए एडवोकेट जनरल की सलाह ली। उनकी राय के आधार पर कि उन्हें लेने पर हाईकोर्ट का अपमान होगा, मैंने उन्हें सेवा में बहाल नहीं किया। लेकिन जब ठाकरे सरकार आई तो कोरोना काल में अधिकारियों की आवश्यकता बता कर सचिन वझे की सेवा को बहाल कर दिया गया, लेकिन सचिन वझे के अलावा अन्य अधिकारियों को बहाल नहीं किया गया।

‘सचिन वझे को लगातार प्रोमोट कर रही थी शिवसेना’

2017 में उनका फिरौती के एक मामले में अग्रिम जमानत लेने का मामला सामने आया था। इतना खराब रिकॉर्ड होते हुए भी उन्हें फिर से सेवा में बहाल किया गया। इतना ही नहीं उन्हें क्राइम ब्रांच के इन्वेस्टिगेश यूनिट का हेड बना दिया गया। इतना ही नहीं सारी महत्वपूर्ण जांच इन्हें दी जाती थी। चाहे रितिक रौशन और कंगना रनौत केस हो, रैपर बादशाह का केस हो। ऐसा लगता है मुंबई के सीपी के बाद पुलिस विभाग में अगर किसी का कद था तो इन्हीं का था, वो हर जगह दिखाई देते थे। चाहे पुलिस विभाग की कोई ब्रीफिंग हो या शिवसेना की कोई मीटिंग हो. यानी यह उन लोगों के लिए फिरौती का काम करते थे।

‘हिरेन मानते गए सचिन वझे की सलाह और मारे गए’

मनसुख हिरेन की गाड़ी सचिन वझे ने खरीदी थी, लेकिन पेमेंट नहीं की थी। जब मनसुख हिरेन ने कहा कि या तो गाड़ी लौटा दी जाए या पेमेंट किया जाए। इस पर सचिन वाजे ने कहा कि थोड़े दिन रखने के बाद उन्हें गाड़ी लौटा दी जाएगी। इसके बाद गाड़ी चोरी नहीं हुई। सचिन वझे ने ही मनसुख हिरेन से कहा कि वे यह रिपोर्ट लिखवाएं की गाड़ी चोरी हो गई है। उनका कंप्लेन कोई दर्ज नहीं कर रहा था। इस पर सचिन वझे का पुलिस स्टेशन में फोन आया और वझे ने मामला दर्ज करने को कहा।

‘वझे ने ही हिरेन से मुख्यमंत्री और गृहमंत्री को पत्र लिखवाए’

इसके बाद जब विस्फोटक गाड़ी बरामद हुई तो अगले तीन दिनों तक मनसुख हिरेन से पूछताछ सिर्फ सचिन वझे ने ही की। इसके बाद जब सचिन वझे को लगा कि मनसुख से बाकी पुलिस अधिकारी भी पूछताछ कर सकते हैं तो सचिन नझे ने ही मनसुख से वो मुख्यमंत्री और गृहमंत्री के नाम शिकायत वाला पत्र लिखवाया, जिसमें मनसुख ने कहा था कि वे बार-बार के पूछताछ से परेशान हैं।

‘मनसुख को वहां मारा गया जहां से वझे का 2017 से संबंध’

देवेंद्र फड़नवीस ने आगे कहा कि इसके बाद मनसुख को उस जगह पर बुलाया गया, जहां 2017 की फिरौती वाले मामले में सचिन वझे की मौजूदगी दर्ज हुई थी। सचिन वझे ने 2017 के फिरौती के एक केस में अग्रिम जमानत हासिल की थी। उनके साथ जो शख्स था उसका नाम धनंजय गावडे था। मनसुख का आखरी लोकेशन उसी धनंजय गावडे के घर के पास पाया गया है। यहां उन्हें मार कर बाद में खाड़ी में फेंक दिया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह कहा गया है कि उनके फेफड़े में पानी ज्यादा नहीं गया है। ऐसा हो ही नहीं सकता कि कोई डूब कर मरे और उसके फेफड़े में पानी ज्यादा जाए नहीं। यानी साफ है कि उनकी हत्या की गई और बाद में उनका शव मुंब्रा की खाड़ी में फेंक दिया गया।

 मनसुख हिरेन की हत्या का केस भी NIA जांच करे

देवेंद्र फड़नवीस ने आखिर में कहा कि हमारी तो मांग है कि चूंकि मनसुख हिरेन का केस भी अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक रखे जाने से जुड़ा मामला है ,इसलिए इस केस की जांच भी NIA ही करे। क्योंकि ATS और मुंबई पुलिस से काफी कोताही बरती गई है।

 

प्रकाशित तारीख : 2021-03-18 07:59:00

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