प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को भगवत गीता के श्लोकों पर 21 विद्वानों की व्याख्याओं के साथ पांडुलिपि के 11 खण्डों का विमोचन किया। लोक कल्याण मार्ग स्थित प्रधानमंत्री आवास पर आयोजित इस विमोचन समारोह में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और वरिष्ठ नेता डॉ. करण सिंह भी उपस्थित थे। इन पांडुलिपियों का प्रकाशन धर्मार्थ न्यास द्वारा किया गया है। डॉ करण सिंह इसके अध्यक्ष हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय के मुताबिक सामान्य तौर पर भगवत गीता को एकल व्याख्या के साथ प्रस्तुत करने का प्रचलन है।
पहली बार प्रसिद्ध भारतीय विद्वानों की प्रमुख व्याख्याओं को भगवत गीता की व्यापक और तुलनात्मक समझ प्राप्त करने के लिए एक साथ लाया गया है। धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित पांडुलिपि असाधारण विविधता और भारतीय सुलेख की सूक्ष्मता के साथ तैयार की गयी है, जिसमें शंकर भाष्य से लेकर भाषानुवाद तक को शामिल किया गया है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि गीता के विश्वरूप ने महाभारत से लेकर आज़ादी की लड़ाई तक हर कालखंड में हमारे राष्ट्र का पथप्रदर्शन किया है। भारत को एकता के सूत्र में बांधने वाले आदि शंकराचार्य ने गीता को आध्यात्मिक चेतना के रूप में देखा। गीता को रामानुजाचार्य ने आध्यात्मिक ज्ञान की अभिव्यक्ति के रूप में देखा।
पीएम मोदी ने कहा, 'आज जब देश आज़ादी के 75 साल मनाने जा रहा है तो हम सभी को गीता के इस पक्ष को देश के सामने रखने का प्रयास करना चाहिए। कैसे गीता ने आज़ादी की लड़ाई को ऊर्जा दी। कैसे गीता ने देश को एकता के आध्यात्मिक सूत्र में बांधकर रखा। इन सब पर हम शोध करें, अपनी युवा पीढ़ी को इससे परिचित कराएं।' प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि ये गीता ही है जिसने दुनिया को निश्वार्थ सेवा जैसे भारत के आदर्शों से परिचित कराया। नहीं तो भारत की निस्वार्थ सेवा, विश्व बंधुत्व की हमारी भावना बहुतों के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं होती।