सत्ता के लिए संघर्ष कर रहे नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और उनके विरोधी धड़े के नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड दोनों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने लड़ाई मुश्किल कर दी है। कोर्ट के निर्णय के बाद ओली की कम्युनिस्ट पार्टी-यूएमएल और प्रचंड की नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) दोनों राजनीतिक एवं तकनीकी रूप से अलग हो गए।
सुप्रीम कोर्ट ने इन दोनों ही पार्टी के 2018 में हुए विलय को खारिज कर दिया था। इन दोनों से ही पार्टी के नाम का अधिकार छीनकर ऋषि कुमार कट्टेल को नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी का चेयरमैन माना था। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से प्रधानमंत्री ओली को थोड़ा लाभ हुआ है, लेकिन प्रचंड को नुकसान हुआ। निर्णय के बाद प्रचंड का साथ दे रहे पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल और झालानाथ खनल सहित कुछ सांसदों को ओली की पार्टी में जाना पड़ा। ये सभी ओली की पार्टी के ही सिंबल से लड़े थे, ऐसी स्थिति में अलग होने पर उनकी सदस्यता समाप्त हो सकती है।
माधव कुमार ने कहा कि हम दिल बड़ा करके जा रहे हैं, लेकिन हमारा संघर्ष जारी रहेगा। अब ओली और प्रचंड दोनों के ही दल सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद चुनाव आयोग में पंजीकरण कराने के लिए आवेदन कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि नेपाल की प्रतिनिधि सभा में सदस्यों की संख्या 275 है। 2017 के चुनावों में ओली की नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी-यूएमएल ने 121 सीटें जीती थीं, जबकि प्रचंड की नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने 53 सीटों पर जीत हासिल की थी।