विश्व भर की बालिका वधुओं में से आधी सिर्फ भारत सहित पांच देशों से हैं। उसमें भी हर तीन में से एक भारत से है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर यूनिसेफ द्वारा इस संदर्भ में तथ्य जारी किए गए।
कोविड -19 को बाल विवाह के विरोध में चलाए जा रहे अभियान की राह में बड़ी बाधा मानते हुए कहा गया है कि शताब्दी केअंत तक अतिरिक्त 10 मिलियन और बालिका वधुओं की संख्या बढ़ सकती है।
आकलन के अनुसार करीब 65 करोड़ महिलाएं ऐसी हैं जिनका बचपन में विवाह कर दिया गया। इनमें से आधी संख्या बांग्लादेश, ब्राजील, इथियोपिया, भारत और नाइजीरिया से है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि महामारी की वजह से बीते एक साल जैसे हालात रहे, उससे बच्चियों और उनके परिजनों को उबारने के लिए तत्काल प्रयास की जरूरत है।
यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक हेनरीटा फोर ने कहा कि सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य सेवाओं के जरिए हालात सुधारने की जरूरत है। इसके साथ ही कानूनों का भी सही ढंग से अनुपालन बड़ी भूमिका निभाएगा।
यूनिसेफ केमुताबिक पिछले दशक में जो 25 मिलियन बच्चों को बाल विवाह से रोककर उपलब्धि हासिल की गई, उसके लिए आगे बड़ी चुनौती है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस) के आंकड़ों के अनुसार 1992-93 में बालिका वधुओं की संख्या में बड़ा अंतर आया और यह 54 से गिरकर 27 फीसदी पर पहुंच गया। पिछले दशक में लगातार इसमें गिरावट दर्ज की गई।