प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पुणे स्थित एक सहकारी बैंक में 71 करोड़ से अधिक के धोखाधड़ी मामले में एक एनसीपी नेता और उसके तीन सहयोगियों को गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में की गई है।
ईडी ने पूर्व एनसीपी एमएलसी अनिल शिवाजी राव भोसले के साथ ही डायरेक्टर सूर्याजी पांडुरंग जाधव, चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर तानाजी दत्तू पौडवाल और शैलेश भोसले को गिरफ्तार किया है। पूर्व एमएलसी अनिल शिवाजीराव भोसले कोऑपरेटिव बैंक के मुख्य प्रमोटर-डायरेक्टर हैं।
इन सभी परा प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत कार्रवाई की गई है। ये लोग 6 मार्च से न्यायिक हिरासत में यरवदा जेल में बंद हैं। ईडी ने बताया कि इस मामले की जांच स्थानीय पुलिस द्वारा भी की जा रही है।
ईडी ने अनिल शिवाजीराव भोसले और अन्य के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने के बाद जनवरी में पुणे और इसके आसपास के इलाकों में छापा मारा था। पुलिस की एफआईआर के हवाले से एजेंसी ने कहा कि बैंक में धोखाधड़ी का खुलासा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा अप्रैल 2019 में ऑडिट के बाद हुआ।
ऑडिट में आरबीआई को बैंक खातों के रिकॉर्ड और बुक में काफी विसंगति मिली। आरबीआई के निर्देश पर बैंक के वैधानिक लेखा परीक्षक ने नगदी रिकॉर्ड की जांच की तो इसमें पता चला 71.78 करोड़ रुपये की नगदी की एंट्री बैंक के हेड ऑफिस ने अपने कैश बुक में लंबित रखी है।
जांच में पता चला कि शिवाजीराव भोसले कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के तत्कालीन डायरेक्ट अनिल शिवाजीराव भोसले ने अपने पद का दुरुपयोग किया और सह आरोपियों के साथ मिलकर बैंक और इसके शाखाओं की रकम का निजी फायदे के लिए इस्तेमाल किया।