राज्य में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए राज्य में अन्न व औषध प्रशासन (एफडीए) द्वारा कोरोना के उपचार के लिए इस्तेमाल में लाये जानेवाली आवश्यक दवाइयों की उपलब्धता को लेकर समीक्षा दी जाती है। राज्य में रेमडेसिवीर इंजेक्शन, मेडिकल ऑक्सीजन और अन्य दवाइयों को लेकर समीक्षा जारी रहती है। कोरोना के इलाज के लिए रेमडेसिवीर इंजेक्शन प्रभावी है। एफडीए ने पाया कि हॉस्पिटल और मेडिकल को जो रेमडेसिवीर इंजेक्शन की सप्लाई की जाती है, उसकी कीमत काफी कम होती है। इसी को लेकर इसकी कीमत निर्धारित करने के लिए कंपनियों की बैठक एडीए प्रशासन ने बुलाई है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, रेमडेसिवीर इंजेक्शन की सप्लाई के लिए मुख्य रूप से छह कंपनियां हैं। एफडीए प्रशासन ने जब सिप्ला कंपनी के रेमडेसिवीर इंजेक्शन के खुदरा मूल्य को लेकर पूछताछ को तो पता चला कि एक इंजेक्शन चार हजार रुपए का है। ज़ायडूस हेल्थकेयर का 2800 रुपए, हेटरुओ हेल्थकेयर की कीमत 5400 रुपए, डॉ. रेड्डीज की 5400 रुपए, माइलानली की कीमत 4800 रुपए और जुबिलेंट जेनरिक की कीमत 4700 रुपए है। हालांकि इसी इंजेक्शन को थोक विक्रेता और अस्पताल में 800 से 1200 रुपए में आपूर्ति की जाती है। अधिकमूल्य में बेचे जा रहे ऐसे विक्रेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश खाद्य एंव औषधि प्रशासन मंत्री राजेंद्र शिंगणे और शौरभ विजय सचिव शिक्षा और औषधि विभाग ने मामले में कार्रवाई करने का आदेश भी दिया था।
इस इंजेक्शन के थोक और खुदरा मूल्य में फर्क को देखते हुए एफडीए विभाग ने रेमडेसिवीर इंजेक्शन 100 मिलीग्राम का अधिकतम मूल्य तय करने के लिए मिटिंगबुलाई गई थी। इन मूल्यों को तय करने के लिए छह मार्च को एक मीटिंग का आयोजन भी किया गया था। यहां हुई बैठक में सिप्ला लिमिटेड, ज़ाइडस हेल्थकेयर, हेटेरो हेल्थकेयर, डॉ रेड्डी , माइलान ली इन निर्माताओं के प्रतिनिधियों के साथ-साथ खुदरा केमिस्ट और ड्रगिस्ट और थोक व्यापारी संघ के प्रतिनिधि मौजूद थे।