केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्ष वर्धन ने आज कोविड-19 निदान सुविधाओं से युक्त नये देसिकन भवन का उद्घाटन किया। आगरा स्थित इस भवन में अनुसंधान सेवाओं की भी व्यवस्था है। नये अनुसंधान केन्द्र का नामकरण आईसीएमआर- राष्ट्रीय जालमा कुष्ठ संस्थान, आगरा, के प्रथम निदेशक डॉ. केवी देसिकन की स्मृति में किया गया है। इस अवसर पर डॉ. हर्षवर्धन ने कोरोना पर काबू पाने में आईसीएमआर और इसके निदेशक डॉ. बलराम भार्गव की सराहना की। कोरोना महामारी को रोकने और भविष्य में संक्रामक रोगों के प्रबंधन में भी आईसीएमआर सक्षम है।
उन्होंने बताया कि नये अनुसंधान भवन में कोविड-19 की जांच की जाएगी और यहां प्रतिदिन 1200 नमूनों की जांच की जी सकती है। कोविड-19 जांच प्रयोगशाला में लेवल-2 बायो सेफ्टी केबिनेट, स्वचालित आरएनए एक्सट्रेक्टर और रियल टाइम पीसीआर मशीनें हैं जिससे कोविड-19 को परिणाम एक दिन में मिल जाते हैं। नये भवन में माइकोबैक्टीरियम स्पीसिज की होल जीनोम सीक्वेंसिंग और औषधीय पौधों से फाइटो केमिकल एक्स्ट्रैक्शन कर एन्टी माइकोबैक्टीरियम ड्रग का विकास किया जा सकेेगा।
डॉ हर्ष वर्धन ने कहा कि आईसीएमआर ने कुष्ठ रोग की जांच और उपचार में भी महत्वपूर्ण कार्य किया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि आई सी एम आर- राष्ट्रीय जालमा कुष्ठ संस्थान, आगरा टीबी उन्मूलन के काम को गति देगा।
डॉ हर्ष वर्धन ने कहा कि संसार से टीबी उन्मूलन के लिए 2030 का लक्ष्य रखा गया है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे 2025 तक समाप्त करने के निर्देश दिए है और हम सब मिल कर इस काम में जुटे हैं। आईसीएमआर के निदेशक डॉ. भार्गव ने कहा कि हमने अपनी प्रयोगशालाओं में जांच की व्यापक सुविधा उपलब्ध करवा कर कोविड-19 के प्रबंधन में उल्लेखनीय योगदान दिया है। आई सी एम आर- राष्ट्रीय जालमा कुष्ठ संस्थान, आगरा के निदेशक डॉ श्रीपाद ने कुष्ठ रोग और टीबी के मरीजों की उपचार सुविधाओं का विवरण दिया।