वालधुनी और उल्हास नदी में लगातार बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा अंबरनाथ और बदलापुर में सर्वेक्षण किया गया। त्रुटियां पाए जाने के बाद नदियों में प्रदूषित पानी छोड़ने वाले उद्योगों पर जल प्रतिबंध व प्रदूषण नियंत्रण कानून 1974 के तहत कार्रवाई की गई है। विधान परिषद में सदस्यों के सवाल के लिखित जवाब में पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने यह बात कही।
ठाकरे ने कहा कि घरों से निकलने वाले प्रदूषित पानी को वालधुनी और उल्हास नदी में न छोड़ने को लेकर उल्हासनगर मनपा, अंबरनाथ नगर परिषद, कुलगांव-बदलापुर नगरपरिषद और कल्याण -डोंबिवली मनपा को स्थानीय स्वराज संस्था ने निर्देश दिया है। इसके तहत नालों में घरों के प्रदूषित पानी के लिए अल्पकालीन व्यवस्था करने के लिए कहा गया है। पर्यावरण मंत्री ने कहा कि इसके लिए सरकार ने नाला-ईन-सीटू नाम की योजना तैयार किया है। उन्होंने बताया कि उल्हास नदी में प्रदूषित पानी छोड़ने को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में उल्हासनगर मनपा के अंतर्गत आने वाली वनशक्ति पब्लिक ट्रस्ट ने याचिका दाखिल किया है, जो अभी विचाराधीन है। गुरुवार को प्रश्नोत्तर काल के माध्यम से शिवसेना के रवींद्र फाटक, मनीषा कायंदे, रासप के महादेव जानकर और भाजपा विधान परिषद सदस्य आरएन सिंह ने सदन में मुद्दा उठाया था, जिसका पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने लिखित में जवाब दिया।