कांग्रेस में खुली जंग के संकेत दिल्ली में भी मिल रहे हैं। सिर्फ एक चिंगारी का इंतजार है, आग भड़क उठेगी। जल्द यहां अहम बैठक होने वाली है। इसी में विरोध की अगली रणनीति तय होगी। यह भी स्पष्ट हो जाएगा कि दिल्ली में बगावत का सेनापति कौन होगा। पुराने कांग्रेसी मुखर हो रहे हैं। उनका कहना है कि कोरोना के चलते स्थिति नियंत्रण में है, अन्यथा दिल्ली के साथ और राज्यों में भी बगावत हो चुकी होती। दशकों से पार्टी को मजबूत कर रहे नेताओं की बात सुनी जानी चाहिए।
गौरतलब है कि असंतुष्ट 23 नेताओं में दिल्ली के भी चार शामिल हैं। इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अर¨वदर सिंह लवली, पूर्व सांसद संदीप दीक्षित व पूर्व विस अध्यक्ष योगानंद शास्त्री हैं। सूचना है कि इन असंतुष्ट नेताओं की फेहरिस्त और लंबी हो गई है। इनमें कई पूर्व मंत्री, पूर्व सांसद एवं पूर्व विधायक भी शामिल हो गए हैं। असंतुष्ट पार्षद भी एक-एक कर पार्टी को अलविदा कह रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो असंतुष्ट नेताओं ने तय किया है कि पार्टी में सुधार की मांग को देशव्यापी बनाने के लिए दिल्ली से आवाज उठना जरूरी है। इसीलिए जल्द यहां बैठक की तैयारी चल रही है। इस बैठक में राजधानी के सभी असंतुष्टों की भूमिका तय की जाएगी। साथ ही यह तय होगा कि किसे, कब और कहां क्या कहना है।
कांग्रेस की कमान अगर अनुभवहीन नेताओं को थमाकर अनुभवी नेताओं को घर बैठा दिया जाएगा, तो पार्टी का पतन निश्चित ही है। अपनी कमियां स्वीकार करना और उन्हें दूर करना गलत बात नहीं है। कमी बताता भी वही है, जिसे पार्टी की चिंता हो। वरना जिस तरह और बहुत से नेता पार्टी छोड़कर जा रहे हैं, वे भी निकल जाएंगे। जब नेता ही नहीं रहेंगे, तो पार्टी का वजूद भी नहीं रह पाएगा। यह भी ध्यान रखना चाहिए कि प्रयोग सत्ता में रहते हुए किए जाते हैं और कांग्रेस की स्थिति प्रयोग करने की नहीं है।