आज एक मार्च से शुरू हो रहे महाराष्ट्र विधान मंडल के बजट अधिवेशन की पूर्व संध्या पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने महाविकास आघाड़ी सरकार पर चौतरफा हमले किए। उन्होंने शिवसेना पर प्रहार करते हुए कहा कि वह सत्ता के लिए लाचार है। वीर सावरकर की पुण्यतिथि पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एक ट्वीट तक नहीं किया। उन्होंने शिवसेना को मुफ्त सलाह देते हुए कहा कि सत्ता आती है और जन्मभर का इतिहास लिखा जाता है कि सत्ता के लिए कितनी लाचारी स्वीकारी। दक्षिण मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में मौजूद गरवारे क्लब में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल, वरिष्ठ नेता सुधीर मुनगंटीवार सहित सभी प्रमुख नेता उपस्थित थे।
तथाकथित बजट अधिवेशन
फड़नवीस ने सोमवार से शुरू हो रहे सत्र को तथाकथित बजट अधिवेशन बताया। इसकी वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि यह इतिहास का सबसे छोटा और कामकाज से पूरी तरह भागने वाला सत्र है। सरकार ने ऐसी रणनीति तैयार की है, ताकि अधिवेशन के दौरान कोई चर्चा न हो सके। उन्होंने कहा कि हमने कामकाज सलाहकार समिति का बहिष्कार किया था। इसके बाद हमारे पास मिनिट्स आए हैं, उसके अनुसार ध्यानाकर्षण और आधे घंटे की चर्चा नहीं होगी। हम इसका विरोध करेंगे।
तबादलों में भारी भ्रष्टाचार
फड़नवीस ने कहा कि तीन पाटे की सरकार में एकमात्र तबादले का कामकाज चल रहा है। तबादले में भारी भ्रष्टाचार चल रहा है। दुर्भाग्य से महाराष्ट्र में ऐसा कभी नहीं हुआ। आईएएस और आईपीएस की बदली में भ्रष्टाचार होता दिख रहा है। किसानों की अवस्था खराब हैं, हम यह विषय अधिवेशन में उठाएंगे। उन्होंने कहा कि पहले अधिवेशन में सरकार ने बिजली बिल कम करने की बात कही थी, लेकिन इस दौरान दो बार बिजली के दाम बढ़े। लॉकडाउन में अनाप-शनाप बिल भेजे गए। अब तक राज्य में साढ़े तीन लाख कनेक्शन काटे गए हैं और 75 लाख को नोटिस भेजे गए हैं। लॉकडाउन में लोगों के पास काम धंधे नहीं थे, किसान परेशान हैं, फिर भी बिजली बिल की सख्त वसूली जारी है। राज्य में अवैध धंधे चालू हैं। रेती घाटों की प्राइवेट बोली लग रही है।
पुलिस हो गई है लाचार
फडणवीस ने कहा कि राज्य में महिलाओं पर अत्याचार बढ़े हैं। सत्तापक्ष के मंत्री और नेता महिलाओं पर अत्याचार करने में सबसे आगे हैं। मंत्री संजय राठौड़ मामले में पुलिस के पास पर्याप्त सबूत हैं, लेकिन अभी तक एफआईआर दाखिल नहीं हुई है। जिस महाराष्ट्र पुलिस पर गर्व था, वह लाचार दिख रही है। उन्होंने कहा कि पुणे के पीआई जो पूजा चव्हाण मामले की जांच कर रहे हैं, उन्हें तत्काल निलंबित कर देना चाहिए।