केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि उसने असम में ‘सत्ता की लालसा’में बदरुद्दीन अजमल के एआईयूडीएफ से हाथ मिलाया है। शाह ने 15-16वीं सदी के संत श्रीमंत शंकरदेव के जन्मस्थल बोरदुवा में एक जनसभा में कहा कि राज्य में सत्ता प्राप्ति का कांग्रेस का ‘लालच’ पूरा नहीं होगा और भाजपा असमी पहचान की प्रतीक अपनी सहयोगी असम गण परिषद के साथ विधानसभा चुनाव में दो-तिहाई बहुमत से जीत दर्ज करेगी।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस अजमल के साथ हाथ मिलाकर सुरक्षा उपलब्ध कराने की बात करती है। यह केवल सत्ता की लालसा की वजह से है कि उसने अजमल से हाथ मिलाया है। शाह ने असम से राज्यसभा सदस्य मनमोहन सिंह का संदर्भ देते हुए कहा कि कांग्रेस ने राज्य से निर्वाचित प्रधानमंत्री होने के बावजूद असम को हिंसा और घुसपैठ से मुक्त कराने के लिए कुछ भी नहीं किया।
लोकसभा सदस्य अजमल के ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटकि फ्रंट (एआईयूडीएफ) का बंगाली भाषा बोलने वाले असमी मुसलमानों में खासा प्रभाव है। असम के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न योजनाओं का जकि्र करते हुए शाह ने कहा कि लोग सात साल में भाजपा सरकार द्वारा किए गए कार्यों और कांग्रेस सरकारों द्वारा 70 साल में किए गए कार्यों की राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव में तुलना करेंगे। शाह ने आरोप लगाया कि संशोधित नागरकिता कानून विरोधी प्रदर्शनों के मद्देनजर बने दल कांग्रेस की मदद कर रहे हैं, जिसने विदेशियों के खिलाफ असम आंदोलन को दबाने के लिए गोलियां चलाई। उन्होंने कहा कि ये दल इसलिए बनाए गए हैं, ताकि वे भाजपा के वोट काट सकें और कांग्रेस की मदद कर सकें, लेकिन वे सफल नहीं होंगे।
केंद्रीय गृह मंत्री ने आरोप लगाया कि राज्य में कांग्रेस के नेता चुनाव के दौरान ही दिखते हैं और बाद में वे निहित स्वार्थ साधने के लिए नई दिल्ली में सत्ता के गलियारों में चक्कर लगाने में व्यस्त हो जाते हैं।