पालघर इलाके में नेवी अधिकारी की हत्या मामले की जांच करते हुए पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है। पुलिस की जांच में पता चला है कि नेवी अधिकारी की हत्या नहीं कि गई थी, बल्कि उन्होंने आत्महत्या की। पुलिस को मिले सबूतों के आधार पर यह निर्णय लिया गया है। पुलिस ने चेन्नई, पालघर-गुजरात बॉर्डर के पास के इलाके में लगे सीसीटीवी फुटेज के आधार पर इस नतीजे तक पहुंची है।
पालघर पुलिस अधीक्षक दत्तात्रय शिंदे ने जानकारी दी है कि इस घटना की जांच के लिए पुलिस ने कई टीमें बनाई थीं, जो अलग-अलग दिशाओं में काम कर रही थी। इस बीच पुलिस ने चेन्नई एअरपोर्ट पर लगे सीसीटीवी कैमरों की जांच की तो पता चला कि नेवल अधिकारी सूरज मिथिलेश दुबे जब चेन्नई एअरपोर्ट पर पहुंचे और बाहर आने के बाद उनके साथ कोई भी आदमी नहीं था, वो अकेले ही घूम रहे थे। नेवी अधिकारी ने अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान अपने स्टेटमेंट में कहा था कि 30 जनवरी को उनका अपहरण किया गया। लेकिन पुलिस को प्राप्त सीसीटीवी फुटेज में साफ दिखाई दे रहा है कि वे आसानी से एअरपोर्ट से बाहर निकलते हैं। इसके बाद वे बैंगलोर जाने वाली बस में बैठते हैं और फिर एक होटल में जाकर चेक इन करते हैं। एक फरवरी के दिन कारीब पौने छह बजे के लगभग सूरज की चचेरे भाई से बात होती है और उसी के थोड़े समय बाद करीब सात बजे सूरज होटल से चेक आउट करते हैं। इस मामले में पुलिस ने गुजरात और पालघर बॉर्डर के पेट्रोल पंप और दूसरे सीसीटीवी कैमरों की जांच की, जिसमें यह भी पता चला है कि सूरज ने एक पेट्रोल पंप से डीजल खरीदा था। जिसके बाद वे लेकर जंगल में चले गये। पुलिस की जांच अभी भी जारी है कि सूरज चेन्नई से पालघर कैसे पहुंचे। इसलिए पुलिस अब इस निष्कर्ष तक पहुंची है कि यह एक आत्महत्या है और उसे नेवी अधिकारी ने अपहरण बताया। सूरज दुबे नौसेना में अधिकारी के पद पर कार्यरत थे। उन्होंने पालघर पुलिस को दिए बयान में कहा था कि चेन्नई एअरपोर्ट से उनका अपहरण किया गया, इसके बाद वहीं पर अपहरणकर्ताओं ने तीन दिन तक रखा। इस दौरान उनलोगों ने इनसे 10 लाख रुपए की मांग की। जिसे इन्होंने देने से इंकार कर दिया। इसके बाद उन्हें एक कार में महाराष्ट्र और गुजरात के बॉर्डर पर स्थित पश्चिमी क्षेत्र के जंगल में ले जाया गया। वहीं पर पिस्तौल दिखाकर उनपर पेट्रोल डाला इसके बाद आग लगा दी। जली हुई अवस्था में उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां उनकी मौत हो गई।