पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपनी दो दिवसीय दौरे पर श्रीलंका में हैं। उनकी इस यात्रा के पहले दोनों देशों की मीडिया के बीच काफी खबरें रहीं। उस दौरान भारत का नाम भी सामने आया। दरअसल, इमरान खान की श्रीलंका की संसद में संबोधन को रद कर दिया गया था। श्रीलंका का यह कदम पाकिस्तान को कहीं न कहीं जरूर अखरा होगा। खासकर तब जब वर्ष 2015 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की श्रीलंका यात्रा के दौरान उन्होंने श्रीलंका की संसद को भी संबोधित किया था। ऐसे में श्रीलंका का यह फैसला इमरान खान के अपमान के रूप में देखा गया। आखिर श्रीलंका की संसद में भाषण देने का क्या महत्व है। इसे इमरान खान की प्रतिष्ठा से जोड़ कर क्यों देखा गया। क्या सच में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की श्रीलंका यात्रा पर भारत की कोई दिलचस्पी है। इमरान की यात्रा में चीन का क्या फैक्टर है।
जानें पाकिस्तान को क्यों अखर गई यह बात
पाकिस्तान से ज्यादा चीन बना बड़ी चुनौती
प्रो. हर्ष पंत का कहना है कि दक्षिण एशिया में बहुत तेजी से शक्ति संतुलन में बदलाव हो रहा है। चीन की दक्षिण एशियाई मुल्कों में बढ़ती दिलचस्पी और दखलअंदाजी ने इस मामले को और जटिल और दिलचस्प बना दिया है। ऐसे में एशियाई मुल्कों में संबंधों का पुनर्निधारण हो रहा है। चीन अपने आर्थिक और रणनीतिक कारणों से इस क्षेत्र में अपनी दिलचस्पी दिखा रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे में चीन यहां के देशों अपना समर्थन और एक मजबूत आधार तैयार करने में जुटा है। भारत के लिए बड़ी चिंता चीन है न कि पाकिस्तान। चीन उन सब देशों को एक मंच पर लाने की कोशिश में जुटा है, जो पूर्व में अमेरिका के करीबी रहे हैं। इसके साथ उसके निशाने पर भारत पर भी है, वह भारत के साथ इस तरह की साजिश रच रहा है कि वह पड़ोसी देशों के साथ अपनी समस्याओं में उलझा रहे और चीन की ओर उसका ध्यान नहीं जाए। इसलिए चीन इस दिशा में लगातार काम कर रहा है। हालांकि, मोदी सरकार की विदेश नीति का बड़ा एजेंडा अपने पड़ोसियों के साथ बेहतर संबंधों को स्थापित करना है। चीन के मंसूबों को ध्वस्त करने के लिए भारत की मौजूदा सरकार इस दिशा में काम भी कर रही है।